सुपर इंवेस्टिगेटर न बने ईडी : दिल्ली हाई कोर्ट

नई दिल्ली। हाई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ मनीलांड्रिंग मामले की जांच संबंधी दस्तावेज अदालत से साझा न करने पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रति नाराजगी जाहिर की है। न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा कि ईडी इस प्रकार सुपर इंवेस्टिगेटर के रूप में काम नहीं कर सकती। पीठ ने ईडी से कहा कि अगर आप अदालत के साथ कुछ भी साझा नहीं करना चाहते तो साफ है कि कुछ गड़बड़ है।

अदालत ने कहा कि वह याचिका के आधार पर नोटिस जारी करेगी और ईडी याचिका में उठाए गए सभी मुद्दों पर जवाब दे। आप नोटिस से पहले ही अग्रिम सुनवाई और सुनवाई के दौरान संतुष्टि चाहते हैं। ईडी के अधिवक्ता ने कहा कि वह एक सप्ताह में सभी रिकार्ड अदालत के समक्ष पेश कर देंगे।

अदालत ने वीरभद्र सिंह के अधिवक्ता से कहा कि ईडी द्वारा छापेमारी व कारणों के बारे में नहीं बताया जा सकता है क्योंकि इससे जांच के बारे में उसके स्त्रोतों का खुलासा हो जाएगा। कभी भी जांच के कारण व जांच की दिशा के बारे में नहीं बताया जाता है। यदि ऐसा हुआ तो यह जांच और स्त्रोत का समझौता हो जाएगा। अदालत ने अधिवक्ता से कहा कि ऐसे फैसले दिखाएं, जिसमें इस प्रकार की इजाजत दी गई हो। मेरी नजर में अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।

जांच एजेंसी रिकार्ड व छापेमारी इत्यादि के कारणों को निर्णायक प्राधिकरण के समक्ष केवल देखने के लिए पेश करती है। फिलहाल वीरभद्र व अन्य को दस्तावेज देखने की इजाजत भी नहीं दी जा सकती है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 31 मई की तारीख तय की।

ईडी ने मामले की जांच प्रभावित होने का तर्क देते हुए दस्तावेज साझा न करने की बात कही थी। वकील ने तर्क रखा था कि याचिकाकर्ता केवल विभाग के 180 दिनों से अधिक अवधि के लिए जब्त दस्तावेजों को बनाए रखने की अनुमति मांगने संबंधी तर्क पर आपत्ति कर सकता है। निर्णायक और अपीलीय प्राधिकरण ने इसी आधार पर याचिकाकर्ता के आग्रह को खारिज कर दिया था। पेश मामले में वीरभद्र सिंह व अन्य ने याचिका दायर कर अपने परिसर में ईडी द्वारा की गई छापेमारी व दस्तावेज जब्त करने संबंधी आधार व कारणों की जानकारी व कुछ दस्तावेज दिखाने को कहा है।

 

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