रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का मानना है कि भारत में बुनियादी सुधारों की रफ्तार को तेज करना राजनीतिक दृष्टि से मुश्किल काम है। लेकिन गवर्नर ने बैंकों के बहीखाते साफ-सुथरा करने और मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने पर जोर दिया जिससे तेज वृद्धि हासिल की जा सके। राजन ने कहा कि श्रम बाजार सुधारों से वृद्धि को प्रोत्साहन दिया जा सकता है, लेकिन इस प्रक्रिया को विरोध का सामना करना पड़ेगा।
राजन ने शनिवार (21 मई) रात ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था और भारत’ विषय पर व्याख्यान में कहा कि नए नियम अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक नीति के इर्द-गिर्द बनाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत जैसे उभरते बाजारों को अपनी आवाज तेजी से उठानी चाहिए जिससे वैश्विक एजंडे के निर्धारण में उनकी बात को भी महत्त्व दिया जाए। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के पूर्व अर्थशास्त्री ने कहा कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के उतार-चढ़ाव से काफी हद तक संरक्षित है। दो बार सूखे और कमजोर अंतरराष्ट्रीय बाजार के बावजूद भारत 7.5 फीसद की वृद्धि दर्ज करने में सफल रहा है।
उन्होंने कहा कि दो सूखे और कमजोर अंतरराष्ट्रीय बाजार परिदृश्य के बावजूद हम वृहद स्तर की स्थिरता की वजह से 7.5 फीसद की वृद्धि दर्ज कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहां वृहद स्तर की स्थिरता सुनिश्चित करने की जरूरत है, वहीं देश को मुद्रास्फीति को अंकुश में रखने के लिए बैंकों को साफ-सुथरा करने की जरूरत है। इससे वृहद स्तर की स्थिरता को मजबूत किया जा सकता है। राजन ने कहा कि सुधारों को कायम रखने से अंतरराष्ट्रीय और घरेलू निवेशकों को आकर्षित किया जा सकता है। साथ ही गतिविधियों को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की क्षमता बढ़ाने के लिए बुनियादी सुधार महत्त्वपूर्ण हैं। प्रतिस्पर्धा और समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी का स्तर बढ़ाया जाना चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोगों को श्रमबल में लाया जा सके।