नेताओं के परिजन को तत्काल लोन, बेरोजगारों को दो साल में भी नहीं

राजीव शर्मा, भोपाल । मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत नेताओं के परिजन और रिश्तेदारों को बैंक तत्काल लोन (एक से दो सप्ताह) दे रहे हैं, लेकिन गरीब बेरोजगारों को दो-दो साल भटकने के बाद भी नहीं। ज्यादातर गरीब बेरोजगार के लोन की फाइल अव्वल तो जिला उद्योग केंद्र के अधिकारी आगे बढ़ाते ही नहीं हैं, जिनकी भेज भी देते हैं तो बैंक अफसर गारंटी लाने की बात कहकर प्रकरण अटका देते हैं।

यह हाल तब हैं, जब मुख्यमंत्री हर मंच से घोषणा करते हैं कि युवाओं को रोजगार के लिए सरकार की गारंटी पर लोन मिलेगा, लेकिन बैंक इस गारंटी को मानने को तैयार ही नहीं हैं। बैंक अफसर कहते हैं कि सरकार की घोषणाओं से क्या होता है, पैसा तो बैंकों का डूबेगा। इसलिए तब तक किसी व्यक्ति को लोन नहीं दिया जाता, जब तक बैंक यह सुनिश्चित न कर लें कि वह व्यक्ति लोन चुका पाएगा या नहीं।

गारंटी का मुद्दा

होशंगाबाद के लीड बैंक मैनेजर आरके त्रिपाठी का कहना है कि रोजगार संबंधी लोन की गारंटी के लिए केंद्र सरकार का सीजीटीएसएमई (क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फाइनेंस फॉर माइक्रो एंड स्मॉल इंटरप्राइजेस) ट्रस्ट है। इसी ट्रस्ट के आधार पर राज्य सरकार लोन की गारंटी की बात करती है। इसके तहत लोन की रकम का करीब एक फीसदी प्रीमियम जमा कर लोन डूबने पर गारंटी प्राप्त होती है।

इसी से छोटे और मंझोले कर्ज में बैंकर्स प्रीमियम जमा कर अपनी लोन की रकम को सुरक्षित करते हैं। लेकिन सीजीटीएसएमई से कर्ज की वसूली करने में बैंकर्स को पसीना आ जाता है। इसलिए वे सामान्यतः किसी भी लोन प्रकरण में आवेदनकर्ता से ही गारंटी लेने का प्रयास करते हैं। लोन देने के मामले में बैंकर्स के स्वविवेक पर निर्भर करता है कि उसे क्या कदम उठाना है।

गरीब हैं तो गारंटी लाइए

जिन लोगों की क्षमता लोन चुकाने (आर्थिक रूप से समृद्ध) की होती है, उन्हें तो बगैर गारंटी बैंक से लोन मिल जाता है। लेकिन जिनके पास बैंक को गिरवी रखने संपत्ति नहीं होती ,उनसे बैंक गारंटी मांगते हैं। यदि आवेदक सरकार की गारंटी की बात कहता है तो बैंक उसे साफ मना कर देते हैं कि वे ऐसी किसी गारंटी को नहीं मानते।

1.भाजपा नेता के बेटे को सात दिन में लोन विदिशा के भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व पार्षद शिवराज यादव के बेटे अनिल यादव ने स्टेशनरी की दुकान खोलने के लिए मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 9 लाख रुपए के लोन के लिए आवेदन किया। एक सप्ताह में ही उन्हें लोन की पहली किश्त मिल गई… जबकि बमूरिया निवासी पूजा बाई अहिरवार ने मार्च 2014 में दूध डेयरी के लिए तीन लाख रूपए के लोन के लिए जिला उद्योग केंद्र में आवेदन किया। वहां से उसकी फाइल बैंक को भेजी ही नहीं गई। वह अभी भी जिला उद्योग केंद्र और बैंक के चक्कर काटने को मजबूर है।

2. कांग्रेस नेता के बेटे को तत्काल लोन छिंदवाड़ा के कांग्रेस नेता दिमागचंद डोले के बेटे दिनेश डोले ने मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत हेल्थ क्लब के लिए 9 लाख का लोन मांगा। इसके लिए उन्होंने अक्टूबर 2015 मेंआवेदन किया। दो सप्ताह के भीतर उनका लोन मंजूर हो गया… जबकि लालबाग निवासी राजू मरकाम ने भी इसी योजना के तहत डेयरी फार्म के लिए बैंक ऑफ महाराष्ट्र से तीन लाख के लोन के लिए दिसंबर 14 में आवेदन किया। लेकिन बैंक ने उनसे गारंटी मांग ली। गारंटी पेश न कर पाने पर उन्हें लोन नहीं मिल सका।

3. जनपद अध्यक्ष के भतीजे को लोन राजगढ़ जिले के खिलचीपुर जनपद पंचायत अध्यक्ष जगदीश दांगी के भतीजे राजेश दांगी ने बैंक ऑफ इंडिया मई 15 में 8 लाख रूपए के लोन के लिए बैंक ऑफ इंडिया में आवेदन किया। दो सप्ताह में उनका लोन पास हो गया। उन्होंने जीप (एमपी 39 टी 1026) भी खरीद ली। यह जीप वर्तमान में खिलचीपुर जनपद में ही किराए पर लगी है… जबकि पीपल वे ब्यावरा निवासी विजेंद्र शर्मा ने एक साल पहले उद्योग विभाग में पांच लाख के लोन के लिए आवेदन जमा कराया। अब उद्योग विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि तुम किसी भी बैंक में बात कर लो, जो भी बैंक तुम्हें लोन देने को तैयार हो जाए, हम उसे प्रकरण भेज देंगे। एक साल से वे पीपल वे से राजगढ़ जाकर हजारों रूपए किराए पर खर्च कर चुके हैं, लेकिन लोन नहीं मिला।

बैंकों को सरकार की गारंटी माननी पड़ेगीः सीधी बात- बीएल कांताराव, आयुक्त, उद्योग विभाग

सवाल- मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना में नेताओं के रिश्तेदारों को तत्काल लोन मिल रहा है। लेकिन गरीबों को नहीं क्यों?

जवाब- ऐसा नहीं है, केवल नेताओं के परिजन-रिश्तेदारों को ही लोन मिल रहा है। यह सही है कि कुछ लोगों के प्रकरण अटक रहे हैं। लेकिन समीक्षा बैठक में उनके प्रकरण पास करवाए जा रहे हैं।

सवाल- बैंक सरकार की गारंटी मानने को तैयार ही नहीं है। बैंक अपने स्तर पर पड़ताल करते हैं।

जवाब- सरकार गारंटी दे रही है। लेकिन फिर भी बैंक अपनी कुछ औपचारिकताएं तो पूरी करते ही हैं।

सवाल- औपचारिकताएं नहीं, गरीबों से बैंक तो सीधे कहते हैं कि गारंटी लाइए।

जवाब- बैंक ऐसा नहीं कह सकते। सरकार की गारंटी तो माननी ही पड़ेगी। बैंक यह देखते हैं कि जिस उद्देश्य के लिए लोन मांगा जा रहा है, वह संबंधित व्यक्ति कर भी पाएगा या नहीं।

 

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