बीना। पेयजल के लिए शासन पर पूरी तरह से आश्रित रहने वालों के लिए ग्राम हांसुआ के चैनसिंह लोधी ने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। घर के आंगन में लगे 200 से अधिक पौधों के लिए अकेले चैनसिंह ने ढाई महीने में 25 फीट गहरा कुआं खोदा है। भागीरथी प्रयास के बाद अब कुएं से पानी निकलने लगा है जो पौधों के लिए संजीवनी का काम कर रहा है। यह कहानी है जोश से भरे चैनसिंह पिता अमान सिंह लोधी (30) की। निरक्षर चैनसिंह ने घर के सामने यूकेलिप्टस, अमरूद, भिंडी सहित अन्य उपयोगी 200 से अधिक पौधे लगाए हुए हैं।
जब दिन में चैनसिंह रिफाइनरी में काम करने जाता, उसकी पत्नी विरमा बाई घर के नजदीक लगे हैंडपंप से पानी भरकर पौधों को सींचा करती थी। यही वक्त अन्य महिलाओं को भी पानी भरने का होता था। महिलाओं ने विरमा बाई को टोक दिया। कहा- यहां लोगों को पानी पीने को नहीं है और तुम्हें पेड़ों की पड़ी है। विरमा बाई ने शाम को ड्यूटी से आए पति चैनसिंह को बात सुनाई। गांव की महिलाओं की बातें सुनकर चैनसिंह ने आवेश में कुदाल उठाया और बगीचे के कोने में खुदाई शुरू कर दी।
सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक रिफाइनरी में मजदूरी करने के बाद चैनसिंह ने कुएं को अपना लक्ष्य बना लिया। सुबह ड्यूटी के पहले चार घंटे और शाम को ड्यूटी के बाद के चार घंटे वह खुदाई करने लगा। आज ढाई महीने से अधिक समय बीत गया, 25 फीट से ज्यादा गहरी खुदाई हो गई। पानी भी निकल आया, लेकिन चैनसिंह यहीं थमा नहीं। अभी कुएं को बांधने का काम बाकी है।
गांव के लोगों ने इस दौरान चैनसिंह को देखा नहीं, उन्हें पता भी नहीं चला कि कब चैनसिंह ने इतने बड़े काम को अंजाम दे दिया। गुस्र्वार को जब पूर्व जनपद अध्यक्ष इंदर सिंह ठाकुर गांव पहुंचे और चैनसिंह का सम्मान किया, तब कुएं को देखकर गांव वाले दातों तले अंगुली दबा बैठे। चैन सिंह के पिता अमान सिंह, ग्रामीण काशीराम, वृंदावन, राजकुमार, गोपाल, नरेश सहित अन्य ने इस कार्य के सराहना की। सबने बताया कि वह शुरू से ही मेहनती है। मजदूरी करके महीने में 35 हजार स्र्पए तक उसने कमाए हैं।
कुएं की कहानी, चैनसिंह की जुबानी
शुरूआत में कुदाली से खुदाई शुरू की। 3- 4 फीट के बाद ठोस मिट्टी यानि कोपरा निकलने लगा। दिन में बारह घंटे रिफाइनरी में हाड़तोड़ मेहनत करने के बाद कुआं खुदाई करना कठिन लग रहा था, लेकिन सामने सूखते पेड़ दिख रहे थे। एक घंटे तक खुदाई करने के बाद मिट्टी को बाहर फेंकता था। मिट्टी के बाद 8 फीट पर पत्थर आ गया। फिर भारी हथौड़े को चलाया। पत्थर के कारण टाइम लग रहा था।
15 फुट चौड़ा कुआं खोदते वक्त मिट्टी को बाहर करना था। कई दिन तो सोने को भी नहीं मिला। फागुन में होली के पहले खुदाई शुरू की थी, एक हफ्ते पहले जब पानी निकला तो खुशी हुई कि मेहनत रंग ला रही है। सुबह खुदाई के बाद कुएं में पानी भरने लगा था, तो मोटर लगाकर पानी को बाहर निकाला और फिर खुदाईकरने लगा। अब बारिश के पहले कुएं को बांध्ाना है जिससे मेहनत पर पानी न फिरे।