सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य न होना किसानों के लिए है मुसीबत

सियासी उठापटक का प्रतीक बन चुका प्याज का अधिक उत्पादन अब किसानों को रुला रहा है। महाराष्ट्र में प्याज के किसानों का दर्द एक बार फिर उजागर है। हालांकि, उत्तर प्रदेश के फुटकर बाजार में यह अब भी 14 रुपये किलो बिक रहा है। यही स्थिति आलू और टमाटर को लेकर भी है। पिछले साल प्रदेश में आलू का बंपर उत्पादन हुआ।

नतीजा यह रहा कि लागत नहीं मिलने की वजह से किसानों ने आलू कोल्ड स्टोरेज में ही छोड़ दिया। उनका कहना है कि 40 फीसदी तक आलू खराब हो गया। चार साल पहले भी ऐसी ही स्थिति में किसानों ने खेत में ही आलू छोड़ दिया था। इसके विपरीत इस साल अभी से आलू के दाम बढ़ने लगे हैं। एक खास प्रजाति का आलू तो बाजार से गायब होने लगा है।

प्याज और आलू का अधिक उत्पादन कभी किसानों के लिए परेशानी का सबब बनता है तो अगले साल ही कम उत्पादन की मार आम जनता को झेलनी पड़ती है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण इन सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय न होना है।

किसान लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि गेहूं, धान की तरह इनका भी न्यूनतम मूल्य निर्धारित हो लेकिन इस बारे में कोई निर्णय नहीं हुआ। इनके उत्पादन को लेकर कोई दीर्घकालीन नीति नहीं है।

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