लखनऊ में मंडी समिति भवन में हुए भीषण अग्निकांड में बुंदेलखंड पैकेज से बनीं साढ़े तीन अरब की मंडियों की फाइलें भी जलने का अंदेशा है। इन मंडियों के निर्माण में बड़े पैमाने पर धांधली होने की शिकायतें हुई थीं। कुछ में जांच भी शुरू हो गई थी। मंडियों का निर्माण 2013-14 में पूरा होना था, लेकिन अभी तक अधूरी हैं। करीब 3.35 अरब की लागत वाली मंडियों के निर्माण में करीब 2.28 अरब रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
लखनऊ किसान मंडी भवन में रविवार की रात भीषण आग लग गई। प्राप्त खबरों के मुताबिक इस अग्निकांड में बुंदेलखंड पैकेज से सात जिलों में 64-64 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जा रही विशिष्ट मंडियों की फाइलें भी जलकर राख हो गईं हैं। मंडियों के कागजात के जलने को लेकर तरह- तरह की चर्चाएं हैं। क्योंकि करोड़ों की लागत से बनने वाली मंडियों के निर्माण में बड़े पैमाने पर धांधली होने की शिकायतें मिलती रही हैं। कुछ शिकायतें शासन स्तर पर भी गई। कुछ में स्थानीय स्तर पर जांच भी हुई थी।
यह भी योजना
प्रदेश सरकार ने बुंदेलखंड विकास पैकेज से बुंदेलखंड के लिए कुल 73 विशिष्ट मंडियां स्वीकृत की थीं। इनकी लागत 3 अरब 35 करोड़ 85 लाख रुपये बताई गई थी। इस योजना में बांदा में नौ, महोबा में चार, हमीरपुर में 10 और चित्रकूट में तीन मंडियों का निर्माण अधूरा है। यह स्थित तब है, जब प्रदेश सरकार इन मंडियों के लिए दो अरब 28 करोड़ 40 लाख रुपये से ज्यादा दे चुकी है।