जस्टिस दत्तू ने अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में कहा, जरूरी नहीं कि उन्होंने किस राज्य में और कहां 49 बच्चों को एक ही टूथब्रश से ब्रश करते हुए देखा, बल्कि ये बात सामने लाना ज्यादा जरूरी है कि देशभर में सरकार द्वारा दिव्यांग बच्चों के लिए चलाए जाने वाले ज्यादातर संस्थानों में कमोबेश यही स्थिति है।
जस्टिस दत्तू ने ये भी कहा कि सरकार ऐसे घरों में जहां दिव्यांग बच्चे और बूढ़े रहते हैं वहां सुविधाएं बढ़ाने को लेकर संजीदा नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे लोगों के लिए और ज्यादा गंभीरता से कदम उठाते हुए उनके लिए बेहतर आवास और सुविधाओं की तरफ ध्यान देना चाहिए।
दिसंबर में भारत की सर्वोच्य अदालत से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पद से रिटायर होने के बाद फरवरी में जस्टिस दत्तू को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का प्रमुख बनाया गया और तभी से वो बेंगलूरु में मौजूद एक वृद्धाश्रम में नियमित तौर पर जाते हैं और वहां बुजुर्गों का हौसला बढ़ाते हैं जो जीने की इच्छा खो चुके हैं।