सुधरा शिशु लिंगानुपात, 1000 लड़कों के मुकाबले जन्‍मी 933 लड़कियां

मुंबई। 2015 में मुंबई के शिशु लिंग अनुपात में सबसे बेहतर परिणाम पाया गया है जो 1000 लड़के पर 933 लड़कियां थीं वह 918 के राष्‍ट्रीय अनुपात से आगे थी। लेकिन शहर के अनेकों वार्ड में इस तरह का ट्रेंड नहीं देखा गया।

हाल में ही रिलीज किए गए बीएमसी डाटा के अनुसार 24 वार्ड में से 11 वार्डों में अनुपात में कमी देखी गई।

वार्ड सी (भुलेश्‍वर, पायधोनी, मरीन लाइंस और धोबी तालाब) में फिर से यह अनुपात 837 रहा जो कि कम है। यह एकमात्र ऐसा वार्ड है जहां 1,000 लड़कों के आंकड़े पर 900 से कम लड़कियों का जन्‍म हुआ। बीएमसी के अनुसार इस एरिया में 2015 में कम डिलीवरी हुई और इनकी संख्‍या 1242 थीं जबकि अन्‍य वार्ड में 7,000-15,000 प्रसव हुए। अन्‍य 10 वार्ड जहां यह अनुपात कम था उसके बारे में कोई उचित स्‍पष्‍टीकरण नहीं उपलब्‍ध कराया गया।

बांद्रा, खार और सांताक्रूज (इस्‍ट) में भी लिंग के अनुपात में कमी देखी गयी। 2014 में 949 से घटकर 2015 में 903 हो गया। देवनार, अनुशक्‍ति नगर, गोवांडी और मनखुर्द जैसे क्षेत्रों में भी कमी देखी गयी जो कि 2014 में 935 थी और 2015 में 909।

बीएमसी के एग्‍जीक्‍यूटिव हेल्‍थ मिनिस्‍टर, डा. पद्मजा केसकर ने कहा, ‘शहर के अनेकों पॉकेट में यह कमी तर्कसंगत नहीं है और हम इसके कारणों को देख रहे हैं। हमारे पिछले रुझानों से पता चलता है कि झुग्‍गियों में लिंग चयन आम नहीं है।‘

होली फैमिली हॉस्‍पीटल की पीडियाट्रिशियन व समुदाय की हेल्‍थ कंसल्‍टेंट, एनसिल्‍ला ट्रेगलर द्वारा दिए गए पेपर के अनुसार इन झुग्‍गियों में न केवल लड़के को प्रीफरेंस दिया गया बल्‍कि लिंग चयन के आधार पर गर्भपात भी देखा गया। टाइम्‍स ऑफ इंडिया को ट्रैगलर ने बताया, ‘ इंटरव्‍यू लिए गए 304 परिवारों में 28 प्रतिशत गर्भपात के मामले सामने आए। करीब 79 फीसद इंड्यूस्‍ड अबार्शन हुए जिसमें से 52 फीसद पूरी तरह से लड़की के जन्‍म को रोकने के लिए किया गया था।‘

उन्‍होंने कहा कि यह काफी चौंकाने वाली बात थी कि सीमित आय वाले गरीब परिवार प्राइवेट अस्‍पताल का खर्च उठाकर किस तरह अबार्शन करा लेते हैं।

एनजीओ ‘लेक लड़की’ अभियान के लिए काम करने वाली वर्षा देशपांडे का कहना है कि पिछले दो सालों से सरकार ने किसी भी क्‍लिनिक, डॉक्‍टर, सोनोग्राफिक सेंटर आदि का सरप्राइज चेक नहीं किया है ताकि अवैध गतिविधियों को रोका जा सके।

वर्ली, लोअर पारेल, प्रभादेवी और महालक्ष्‍मी जैसे एरिया में 2014 के 968 से बढ़कर 2015 में 991 हुई है।

 

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