जयपुर। राजस्थान सरकार ने राज्य में सूखे के हालात से निपटने के लिए केंद्र सरकार से 10 हजार 537 करोड रूपए की आर्थिक सहायता की मांग की है। इसके साथ ही पेयजल परिवहन की व्यवस्था कराने की मांग भी की गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बताया कि राजस्थान में राज्य सरकार अपने अल्प वित्तीय संसाधनों से सूखे एवं पानी की कमी से निपटने के लिए भरसक प्रयास कर रही है। उन्होंने वर्तमान आपदा प्रबंधन नियमों में विशेष छूट देने का आग्रह भी किया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले 67 वर्षो में से राज्य ने करीब 61 वर्ष सूखे की समस्या से सामना किया है। वर्तमान में राज्य के 19 जिलों के 14,487 राजस्व गांव भयंकर सूखे की चपेट में हैं। सूखे के कारण राज्य के करीब 54.49 लाख किसानों की 39.80 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हो चुकी है। राज्य की करीब 1.95 करोड़ जनता इससे प्रभावित हुई है। साथ ही, 1.68 करोड़ मवेशियों पर सूखे का प्रभाव पड़ा है। सूखे की समस्या से निपटने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा अभी तक 1,193 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली है।
ये मांगे भी उठाई
– सूखे से प्रभावित मवेशियों के लिए अलग से वित्तीय सहयोग दिया जाए।
– फसल नुकसान के आंकलन के लिए दो हेक्टेयर प्रति किसान भूमि की सीमा को बढ़ाकर पांच हेक्टेयर प्रति किसान किया जाए
– सूखे से निपटने के लिए बनी ‘स्टेट हाईपॉवर कमेटी’ को और अधिक सशक्त करते हुए कमेटी को सहायता कार्यो को 90 दिनों से अधिक समय तक चलाने के अधिकार दिये जाना चाहिए।
– प्रदेश के दूरस्थ इलाकों में पीने के पानी की आपूर्ति के लिए रेलवे द्वारा मुफ्त पानी के परिवहन की स्वीकृति के अलावा परिवहन खर्च का पुनर्भरण किया जाए।
– राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत् राज्य को मिलने वाले 1300 करोड़ के वार्षिक वित्तीय सहयोग को पुनः शुरू किया जाए।
– ‘राष्ट्रीय पेयजल ग्रिड’ बनाया जाए। इस ग्रिड द्वारा मुंद्रा/कांडला बंदरगाह से समुद्र के पानी को परिष्कृत करके राजस्थान के सूखे क्षेत्रों में पेयजल पहुंचाने का कार्य किया जा सकेगा।
जल संरक्षण अभियान के बारे में बताया
बैठक में राजे ने बताया कि राजस्थान में अगले चार वर्ष में सात लाख जल स्रेतों को पुनर्जीवित किया जाएगा। इनमें एक लाख इस वर्ष जून तक पुनर्जीवित की जाएंगी। प्रधानमंत्री बाद में राजस्थान के जल संरक्षण कार्यक्रमों के बारे में ट्वीट भी किए।