सूखा क्या पड़ा, जैसे सहरिया परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। खेतों में कटाई कर उसमें गिरे-पड़े दानों को बीनकर और मेहनत-मजदूरी कर अपना जीवन-यापन करने वाला सहरिया समुदाय सूखे की जबरदस्त मार झेल रहा है। किसी ने खाने को दे दिया तो ठीक है, नहीं तो वह खाली पेट सोने को मजबूर हो जाते हैं। ग्राम पंचायत छपरट की सहरिया बस्ती के हालात यह हैं कि यहां के परिवारों को भूखे पेट सोना पड़ रहा है। विडंबना यह है कि इनके अपने बच्चों ने तो मुंह मोड़ ही लिया है, सरकार की तरफ से भी कोई सहायता नहीं मिल रही हैं। टूटे छप्परों के नीचे गुजर-बसर करने वाले और भूखे पेट सोने वाले इन परिवारों की ओर न तो सरकार का ध्यान जा रहा है और न ही समाजसेवियों का।
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