भुखमरी क्यों न हो जब कैदी को रोज 700 ग्राम आटा मिले और गरीब को पाव भर भी नहीं- विनय सुल्तान

हर शहर की अपनी अलग तासीर होती है. इसके बावजूद हर शहर एक तरह से ही उठता है. बिल्कुल इंसान की तरह ही. मंदिर में घंटों की आवाज और अजान के बीच थोड़ा अलसाया सा.

ललितपुर में भी छह मई की सुबह ऐसी ही रही होगी. चाय की गुमटियों पर अखबार ताजा से बासी हो जाने की सनातन यात्रा के बीच कस्बे के कृष्णा सिनेमा के पास से गुजरते लोग अचानक ठिठक गए. वहां पर एक बुजुर्ग की लाश पड़ी हुई थी. ये बुजुर्ग रात को यहां पर घूमते दिखाई दिए थे. वे इससे पहले भी कई बार यहां पर घूमते देखे गए थे.

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