छत्तीसगढ़ के अधिकतर बांधों में बचा है चौथाई पानी

रायपुर(ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ के कई बांध सूख चुके हैं या कुछ सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं। प्रदेश के सभी छोटे-बड़े बांधों में फिलहाल केवल 27 फीसदी पानी रह गया है। वहीं, विभिन्न जलाशयों से नहरों के जरिए गांवों में तालाबों को निस्तारी के लिए भरने पानी छोड़ा जा रहा है, जिसकी वजह से बांधों का जल स्तर तेजी से घट रहा है। यही हालात रहे तो आने वाले दिनों में बांधों से पीने के लिए पानी उपलब्ध कराना कठिन हो जाएगा।

जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है। इसकी वजह से भी बांधों का जल स्तर लगातार कम हो रहा है। प्रदेश में 42 छोटे-बड़े सिंचाई जलाशय हैं। इन बांधों का पानी आसपास के इलाकों के भू-जल स्तर को भी प्रभावित करता है। बांधों के पानी से नहरों के जरिए शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल के लिए पानी उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसके चलते बांधों में बहुत कम पानी रह गया है।

प्रदेश के सबसे बड़े बांध मिनीमाता बांगो से कोरबा शहर सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। इस बांध की क्षमता 2894 मिलियन क्यूबिक मीटर है, जबकि अभी यहां केवल 1038 मिलियन क्यूबिक मीटर यानी 35 फीसदी पानी बचा है।

इसी तरह प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े बांध गंगरेल (रविशंकर जलाशय) में सिर्फ 21 फीसदी पानी रह गया है। गंगरेल बांध से राजधानी रायपुर के लिए पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। इसके अलावा भिलाई स्टील प्लांट के लिए भी गंगरेल बांध से पानी दिया जा रहा है। प्रदेश में मानसून के दौरान अल्पवर्षा के कारण इस साल गंगरेल बांध पूरा नहीं भर पाया था। इसके कारण यह स्थिति निर्मित हुई है।

‘प्रदेश के सिंचाई बांधों में पेयजल और निस्तारी के लिए पर्याप्त सुरक्षित है। बांधों के पानी से नहरों के जरिए निस्तारी के लिए तालाबों को भरा जा रहा है।’ – एचआर कुटारे, प्रमुख अभियंता, जल संसाधन विभाग

 

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