नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक यानी पीएसबी के टॉप-50 डिफॉल्टर्स पर दिसंबर 2015 तक की स्थिति के अनुसार, कुल 1.21 लाख करोड़ रुपए बकाया हैं। वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने राज्य सभा में बताया कि पिछले तीन सालों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या दिसंबर 2015 तक बढ़कर 7,686 हो गई है, जो कि तीन साल पहले तक 5,554 थी।
इसी प्रकार बकाये की रकम भी इन तीन सालों के दौरान बढ़कर दोगुना 66,190 करोड़ रुपए हो गई है। पहले यह रकम 27,749 करोड़ रुपए थी। जयंत सिन्हा ने बताया कि दिसंबर 2015 तक 500 करोड़ और इससे अधिक के लोन वाले खातों की संख्या 1,365 थी।
सबसे ज्यादा डिफॉल्टर्स वाले सेक्टर
इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टील और टेक्सटाइल वो प्रमुख क्षेत्र हैं, जहां डिफॉल्टर्स की संख्या सबसे ज्यादा है।
सबसे ज्यादा कर्ज
एनपीए या फंसे हुए कर्ज की सबसे ज्यादा रकम भारतीय स्टेट बैंक की है। विलफुल डिफॉल्टर्स के पास एसबीआई के 11,700 करोड़ रुपए फंसे हैं। वहीं एसबीआई व एसोसिएट्स बैंकों का डिफॉल्टर्स पर कुल कर्ज 18,700 करोड़ रुपए बकाया है।
किस बैंक का कितना बकाया
पंजाब नेशनल बैंक की डिफॉल्टर्स पर बकाया रकम 10,900 करोड़ रुपए है तो यूको बैंक के 4,250 करोड़ रुपए एनपीए के रूप में डिफॉल्टर्स के पास हैं। केनरा बैंक के 3,200 करोड़ रुपए, यूनियन बैंक के 3070 करोड़, बैंक ऑफ इंडिया के 2700 करोड़, आंध्रा बैंक के 2960 करोड़ और बैंक ऑफ बड़ौदा के 1190 करोड़ रुपए डिफॉल्टर्स ने नहीं लौटाए हैं।