स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए गांव-गांव पिटवाएंगे डोंडी

शाजापुर। गर्मी की छुट्टियों में मध्यान्ह भोजन दिए जाने की योजना में बच्चों की लगातार कम संख्या चिंता का सबब बन गई है। हालत यह है कि स्कूलों में बच्चे कम संख्या में पहुंच रहे हैं। बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए अब गांव-गांव डोंडी पिटवाए जाने के साथ ही अन्य प्रयास भी किए जाएंगे।

इस वर्ष जलस्रोतों के जल्दी दम तोड़ने के चलते जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है। सूखाग्रस्त तहसीलों में बच्चों को ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान स्कूलों में बुलवाकर भोजन कराए जाने की योजना लागू की गई है। इस दौरान स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई नहीं होगी, सिर्फ बच्चों को खाना खाने आना है। 2 मई सोमवार से स्कूलों में भोजन पहुंचने भी लगा। शिक्षक इसके लिए स्कूल में पहुंचने भी लगे, लेकिन बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं।

यह योजना जिले के सूखा ग्रस्त घोषित होने के चलते मध्यान्ह भोजन दिए जाने के लिए की गई है। जिले के 1300 से अधिक प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में पढ़ने वाले बच्चों को स्कूल में भोजन करने आना है। बच्चों को रविवार छोड़कर प्रतिदिन 10 से 12 बजे तक स्कूल में भोजन दिया जाना है। बच्चों की उपस्थिति काफी कम है। ऐसे में बच्चों की उपस्थिति बढ़वाने के लिए प्रयास चल पड़े हैं।

बच्चों को स्कूल बुलवाने के लिए अभिभावकों को प्रेरित किया जाएगा। गांव में डोंडी पिटवाने के साथ अन्य प्रयास भी किए जाएंगे। अफसर मध्यान्ह भोजन योजना को लेकर लगातार निरीक्षण भी करेंगे। जिला मध्यान्ह भोजन योजना प्रभारी राजेश ऊंचेनिया ने बताया कि गर्मी की छुट्टियों में प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को भोजन दिए जाने की योजना के प्रचार-प्रसार के लिए डोंडी पिटवाने के साथ अन्य प्रयास भी किए जाएंगे। सबंधितों अफसरों को इस सबंध में जिला पंचायत द्वारा निर्देशित किया जा रहा है।

 

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