प्रदेश में हर सौ में से एक व्यक्ति हेपेटाइटिस बी जैसी जानेलेवा बीमारी की चपेट में है। लेकिन, 90 फीसदी से ज्यादा लोगों को इसका पता ही नहीं है। हर साल प्रदेश में करीब 2800 लोग इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। यह खुलासा मप्र एड्स कंट्रोल सोसायटी की रिपोर्ट में हुआ है। अप्रैल 2015 से मार्च 2016 के बीच 2 लाख 80 हजार लोगों की जांच में करीब 2800 लोग हेपेटाइटिस बी से संक्रमित मिले हैं।
सरकारी ब्लड बैंकों में स्वैच्छिक रक्तदान करने वालों की हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, एचआईवी, वीडीआरएल (यौन जनित रोग) व मलेरिया की जांच अनिवार्य रूप से की जाती है। पिछले साल 2 लाख 80 हजार लोगों ने प्रदेश के सरकारी ब्लड बैंकों में स्वैच्छिक रक्तदान किया।
इसमें से करीब एक फीसदी हेपेटाइटिस बी से संक्रमित मिले हैं। एड्स कंट्रोल सोसायटी के ब्लड सेफ्टी ऑफीसर डॉ. यूसी यादव ने बताया कि भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर व उज्जैन में 2 से 3 फीसदी लोग हेपेटाइटिस बी से संक्रमित मिले हैं। इसकी वजह यह कि यहां इस बीमारी के मरीज ज्यादा हैं, जिससे दूसरों को संक्रमण का खतरा बड़ जाता है। दूसरी बड़ी वजह यह कि शहरों में डायबिटीज के रोगी भी ज्यादा हैं। उन्हें हेपेटाइटिस बी के संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है।
देर से लक्षण दिखने की वजह से पता नहीं चलती बीमारी
गैस्ट्रोएंटोलॉजिस्ट डॉ. संजय कुमार ने बताया कि हेपेटाइटिस बी कई साल तक छुपी रहती है। लक्षण नहीं दिखने की वजह से यह बीमारी जल्दी पकड़ में नहीं आती है। जब तक लक्षण दिखते हैं तब तक लिवर में संक्रमण बढ़ चुका होता है। कई मरीज तो लिवर सिरोसिस जैसी स्टेज में अस्पताल पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस बी व सी की जांच काफी आसान है और हर जिले में हो रही है, इसलिए सभी को एक बार जांच जरूर करा लेना चाहिए।