हरित अधिकरण ने शीर्ष प्रदूषण निगरानी निकाय से यह जानकारी मिलने पर कारों को लेकर सम-विषम योजना का दूसरा चरण लागू करने वाली दिल्ली सरकार से पूछा कि आखिर 15 साल पुराने वाहन सड़कों से हटाये क्यों नहीं जा सकते। जस्टिस स्वतंतर कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सीपीसीबी ने कहा कि प्रथम दृष्टया इस बात का कोई आंकड़ा नहीं है कि योजना से वाहनजनित प्रदूषण में कोई कमी आई है। प्रदूषित कणों (पीएम 10 और पीएम 2.5) का बढ़ना-घटना मौसम और हवा के रूख के कारण है।
बोर्ड ने हरित पैनल से कहा कि वैज्ञानिक अध्ययन चल रहा है। उसकी ओर से वाहनजनित प्रदूषण पर विस्तृत रिपोर्ट दो मई को सौंपी जाएगी। एनजीटी ने सीपीसीबी से दिल्ली में इस योजना के दूसरे चरण में परिवेशी वायु गुणवत्ता आंकड़े का विश्लेषण करने को कहा था। पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा कि आप जोर-शोर से सम-विषम योजना बढ़ा रहे हैं। आप उसी तरह 15 साल पुराने वाहनों को सड़कों से क्यों नहीं हटाते। कृपया, कुछ कीजिए। याद रहे कि पिछली सुनवाई में एनजीटी से सीपीसीबी को स्वतंत्र रूप से योजना के दौरान आबोहवा की गुणवत्ता की निगरानी और आंकड़े जुटाने को कहा था।
गौरतलब है कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने अधिकरण को पिछली सुनवाई में इस बारे में सूचित किया था। समिति ने कहा था कि उनकी ओर से आबोहवा की जांच राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में की जा रही है।