छत्तीसगढ़- भूमि सुधार का काम जीपीएस से, 66 साल बाद कोंडागांव जिले का सर्वे

रायपुर। छत्तीसगढ़ में भूमि सुधार (बंदोबस्त) का काम अब ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम यानी जीपीएस के माध्यम से शुरू कर दिया गया है। राज्य के बस्तर सहित कई अन्य जिलों में भूमि सुधार के काम सही तरीके से न होने के कारण जमीन संबंधी विवाद बड़े पैमाने पर सामने आए हैं। बस्तर के ही कोंड़ागांव जिले में आजादी के बाद से 66 साल तक बंदोबस्त का काम नहीं हुआ था, अब सरकार यह काम आईआईटी रुड़की के सहयोग से शुरू कर चुकी है। माना जा रहा है कि अगले कुछ साल में राज्य में भूमि संबंधी विवाद के मामलों में निर्णायक कमी आ जाएगी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बस्तर संभाग में इससे पहले 1980 से 90 के बीच मैन्यूअल बंदोबस्त किया गया था। उस वक्त बस्तर एक ही जिला हुआ करता था। कोंडागांव, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, कांकेर, सुकमा आदि बस्तर जिले की तहसील थीं। अब यह सभी तहसीलें जिला बन चुकी हैं। कोंडागांव के विधायक मोहन मरकाम ने नईदुनिया से बताया कि कोंडागांव का राजस्व सर्वे 1928 के बाद से नहीं हुआ है।

हालांकि राजस्व विभाग के अफसरों का मानना है कि 1950 में सर्वे हुआ था पर 1980 में नहीं हो पाया। बताया गया है कि भूमि बंदोबस्त न होने से गांवों में भूमि विवाद के बहुत से मामले में आ रहे हैं। जमीन की खरीदी बिक्री में भी दिक्कत आ रही है। मोहन मरकाम ने विधानसभा में दो बार कोंडागांव जिले के राजस्व सर्वे का मामला उठाया था। राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडे ने विधानसभा में कोंडागांव का राजस्व सर्वे रुड़की विश्वविद्यालय के एक्सपर्ट से कराने का आश्वासन दिया था। मंत्री के निर्देश पर अब राजस्व विभाग ने काम शुरू कर दिया है।

राजस्व विभाग के अफसरों ने बताया कि कोंडागांव सहित प्रदेश के दूसरे जिलों में भी जिन तहसीलों में बंदोबस्त संबंधी दिक्कत है, वहां कलेक्टरों की मांग पर राजस्व सर्वे कराया जा रहा है। कोंडगांव में वन ग्राम से राजस्व ग्राम बने गांवों के सर्वे का काम चल रहा है। अफसरों के मुताबिक भूमि बंदोबस्त का काम तहसील स्तर पर होता है। एक बार में किसी तहसील का पूरा सेटलमेंट किया जाता है।

पहले अधिकारी गांव जाकर लोगों से मुलाकात कर भूमि की नाप-जोख कर नक्शा बनाते थे। किसी तहसील का सर्वे करने और नक्शे बनाने की पूरी प्रक्रिया में 15 से 20 लगते थे। अब सेटेलाइट से मैपिंग की जाती है और कम्प्यूटर से नक्शे बनाए जाते हैं।

सिर्फ कोंडगांव तहसील छूटी थी

राजस्व विभाग के अफसरों ने बताया कि भूमि बंदोबस्त का काम हर तीस साल में किया जाता है। आजादी के बाद 1950 में भूमि बंदोबस्त किया गया था। इसके बाद 1980 से 1990 के बीच सर्वे किया गया। उस वक्त बस्तर संभाग की सभी तहसीलों का राजस्व सर्वे हुआ पर कोंडागांव तहसील का नहीं किया जा सका। बताया गया है कि कोंडगांव में सर्वे के दौरान कई शिकायतें आ रही थीं। तब निर्णय लिया गया कि पूरी तहसील का सर्वे किसी और मौके पर किया जाएगा। तब से मामला अटका रहा। हालांकि अफसरों का कहना हैकि 1950 में कोंडगांव का सर्वे हुआ था। अगर आजादी के पहले से न हुआ होता तो कोई रिकॉर्ड ही न मिलता।

विवाद मुक्त बनाने का लक्ष्य

राज्य सरकार इस कोशिश में है कि राज्य के गांवों को भूमि संबंधी विवाद से मुक्त रखा जाए। शुरू में 6 हजार 393 गांवों का चयन किया गया है। विवाद मुक्त गांव बनाने की प्रक्रिया में परेशानी इस बात की है कि जिलों, गांवों में भूमि बंदोबस्त की कमी है। लिहाजा सरकार के लिए यह काम परेशानी का सबब बना हुआ है, बावजूद इसके 3 हजार 660 गांवों को विवाद से मुक्त कर लिया गया है, ऐसा दावा सरकार ने किया है।

1980 में जब भूमि बंदोबस्त किया गया तब कोंडागांव बस्तर जिले की एक तहसील था। उस दौरान बस्तर की सभी तहसीलों का सर्वे हुआ, लेकिन कोंडागांव छूट गया था। अब आईआईटी रुड़की के इंजीनियर कोंडागांव का सेटेलाइट सर्वे कर रहे हैं। – केआर पिस्दा, सचिव, राजस्व विभाग

 

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