पीपीपी योजना से बढ़ेगी देश में पेड़ों की खेती

इंदौर, 10 अप्रैल (एजेंसी)
देश के वृक्ष आवरण में इजाफे के साथ लकड़ी का आयात घटाने के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के आधार पर महत्वाकांक्षी योजना का खाका तैयार किया है। इस योजना के तहत निजी फर्मों को वन्य क्षेत्रों की बंजर जमीन पर उपयोगी लकड़ी वाले पेड़ों की खेती की अनुमति दी जाएगी। पर्यावरण और वन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने रविवार को यहां विश्व बांस सम्मेलन के समापन समारोह में कहा, ‘हम आने वाले दिनों में इस पीपीपी योजना की गाइडलाइन जारी करेंगे। बोली की प्रक्रिया के तहत इस योजना के टेंडर हासिल करने वाली निजी फर्मों को जंगलों की बंजर जमीन पर बांस और अन्य ऐसेे पेड़ों की खेती की अनुमति दी जाएगी जिनकी लकड़ी उपयोगी होती है।’ उन्होंने बताया कि देश के जंगलों में करीब तीन करोड़ हेक्टेयर बंजर जमीन है जिसका इस्तेमाल पेड़ों की खेती की पीपीपी योजना को अमली जामा पहनाने के लिए किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘यह विडंबना है कि हमें लकड़ी आयात करनी पड़ती है। जब हम लकड़ी का आयात करते हैं, तो रोजगारों का निर्यात होता है। हम इस स्थिति को बदलना चाहते हैं। पेड़ों की खेती से देश में रोजगार बढ़ेंगे और सरकार को राजस्व का फायदा होगा। इसके साथ ही, जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने मेें भी मदद मिलेगी।’
पर्यावरण और वन मंत्री ने यह भी बताया कि देश में वन्य क्षेत्रों और इनके बाहर करीब 8 करोड़ हेक्टेयर का पेड़ आवरण है। सरकार इसे बढ़ाकर 11 करोड़ हेक्टेयर के स्तर पर पहुंचाना चाहती है।

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