जल संकट के कारण घटा बिजली उत्पादन

नई दिल्ली। औसत से कम बारिश और ज्यादा गर्मी के कारण पानी की कमी का असर न केवल खेती-बाड़ी और आम जन-जीवन पर हो रहा है, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था इसकी चपेट में आ सकती है। मसलन, इसकी वजह से बिजली उत्पादन घटने लगा है।

पानी की कमी के कारण कई थर्मल पावर प्लांट बंद हो गए हैं और कई बंदी की कगार पर हैं। दूसरी तरफ पन बिजली परियोजनाओं पर भी खतरा मंडरा रहा है क्योंकि देशभर के बांधों में जलस्तर काफी गिर गया है।

गर्मी का मौसम फिलहाल चरम पर नहीं पहुंचा है, लेकिन उत्तर प्रदेश में बिजली संकट अभी से गहराने लगा है। गर्मी बढ़ने से बिजली की मांग वैसे भी बढ़ जाती है, जबकि आपूर्ति घटती जा रही है। राज्य में पानी की किल्लत के कारण 4 पावर प्लांट बंद हो गए हैं। केंद्रीय पूल से भी उत्तर प्रदेश को 674 मेगवॉट कम बिजली मिल रही है। वैसे राज्य सरकार का वादा है कि बिजली का उत्पादन बढ़ाया जाएगा।

बिजली की मांग बढ़ी

अप्रैल के पहले हफ्ते में रात के समय उत्तर प्रदेश ने ऐसी गर्मी कभी नहीं देखी। जाहिर है, गर्मी बढ़ेगी तो बिजली की मांग भी बढ़ेगी। 5 अप्रैल को जहां बिजली की मांग27 करोड़ यूनिट थी, वहीं 8 अप्रैल आते-आते यह मांग बढ़कर 38 करोड़ यूनिट तक पहुंच गई।

उत्पादन और आपूर्ति घटी

पानी की कमी के कारण केंद्रीय सेक्टर के चार पावर प्लांट बंद हो गए हैं। ऊंचाहार पावर प्लांट से उत्तर प्रदेश को 77 मेगावॉट बिजली मिलती है। सिंगरौली 6 यूनिट से राज्य को 212 मेगावॉट बिजली मिलती है। सिंगरौली 7 से 312 मेगावॉट और दादरी प्लांट से प्रदेश को 73 मेगावॉट बिजली मिलती है। लेकिन, ये प्लांट बंद होने से राज्य को 674 मेगावॉट कम बिजली मिल रही है।

महाराष्ट्र के कई प्लांट बंद

बिजली के मामले में मुश्किल हालत अकेले उत्तर प्रदेश की नहीं, बल्की पूरे देश की है। गर्मी के कारण पानी कम है और पानी कम होने की वजह से देशभ में बिजली संकट का खतरा है। पानी की कमी के चलते महाराष्ट्र के पर्ली और कोरादी पावर प्लांट बंद हो गए हैं। बांधों में गिरता जल स्तर यह चिंता बढ़ा रहा है।

पनबिजली उत्पादन भी कम

पनबिजली परियोजनाएं पूरी क्षमता पर नहीं चल रही हैं। इनकी जितनी क्षमता है उससे कम उत्पादन हो रहा है। महाराष्ट्र के 2,500 मेगवॉट की क्षमता वाले 2 पनबिजली परियोजनाओं से केवल 150-200 मेगावॉट उत्पादन हो रहा है। एनटीपीसी के फरक्का प्लांट में भी उत्पादन गिर गया है। फरक्का में 2,100 मेगवॉट क्षमता की जगह केवल 500 मेगावॉट उत्पादन हो रहा है। पिछले साल के मुकाबले जलाशयों में 31 फीसदी कम पानी है। कर्नाटक, मध्यप्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में भी बिजली उत्पादन घटा है।

 

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