देश में धान की 42 नई किस्में, छत्तीसगढ़ सहित अनेक राज्यों को फायदा

रायपुर (निप्र)। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में मंगलवार को ’51वीं वार्षिक धान अनुसंधान समूह बैठक’ का समापन हुआ। इससे पहले तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में देश-दुनिया के सैकड़ों धान अनुसंधान वैज्ञानिकों ने धान की पैदावर बढ़ाने, सुंगधित, जैविक खाद की बढ़ोतरी और पोषकता की मात्रा को बढ़ाए जाने व कम पानी से धान की खेती संबंधित अनेक विषयों पर विस्तृत चर्चा की।

इस दौरान वैज्ञानिकों ने बताया कि पिछले साल समूह बैठक द्वारा चयनित धान की 42 नई प्रजाति को विकसित करने में सफलता प्राप्त हुई है। इससे छत्तीसगढ़ सहित अनेक राज्य को फायदा मिलेगा। पंथ बासमती एक व दो की किस्में विकसित की गई हैं, जो काफी सुंगधित हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह किस्म दिल्ली, पंजाब, हरियाणा व उत्तराखंड जैसे राज्यों में पैदावार हो सकती है। इस तरह छत्तीसगढ़ में राजभोग व तरुणभोग की किस्में हैं, जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक हैं। इन 42 नई प्रजातियों को सेंट्रल प्रजाति विमोचन समिति द्वारा चयनित की गई है।

चावल अनुसंधान में सामूहिक प्रयास जरूरी – पाटिल

’51वीं वार्षिक धान अनुसंधान समूह बैठक’ के समापन अवसर पर मंगलवार को कृषि विवि के कुलपति डॉ. एसके पाटील ने कहा कि चावल अनुसंधान को नई दिशा देने के लिए सामूहिक प्रयास करना जरूरी है। इस बैठक में किस्म चिन्हांकन समिति द्वारा धान की सात किस्मों एवं शंकर धान के आठ किस्मों को चिन्हांकित किया। उपरोक्त चिन्हांकित किस्मों का दो माह के अंदर ‘सेन्ट्रल व्हेराइटल रिलिज कमेटी’, नई दिल्ली द्वारा रिलीज कर दिया जाएगा, जिसका लाभ विभिन्न राज्यों के किसानों को प्राप्त हो सकेगा।

इन संस्थानों को मिला अवॉर्ड

ओवर ऑल बेस्ट अवॉर्ड एआइसीआरपी सेन्टर – आरआरएस चिंगसुरा पश्चिम बंगाल

बेस्ट चावल अनुसंधान केन्द्र – राइस रिसर्च स्टेशन, मोनकारापु, केरला

बेस्ट फसल उत्पादन अवॉर्ड – गोविन्द वल्लभपंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंत नगर, उत्तराखण्ड

बेस्ट फसल सुरक्षा अवॉर्ड – रिजनल एग्रीकल्चरल रिसर्च स्टेशन, पोटाम्बी

 

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