हरियाणा विधान सभा में चालू सत्र के दौरान हरियाणा पिछड़ा वर्ग (सेवाओं तथा शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में आरक्षण) विधेयक, 2016 पारित किया गया। हरियाणा पिछड़े वर्ग (सेवाओं तथा शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में आरक्षण) अधिनियम, 2016 लागू करके पिछड़े वर्ग ब्लाक ‘ए’, पिछड़े वर्ग ब्लॉक ‘बी’ तथा पिछड़े वर्ग ब्लॉक ‘सी’ को वैधानिक दर्जा देने के उद्देश्य से हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल द्वारा यह विधेयक पेश किया गया।
केन्द्र सरकार से इस अधिनियम को भारत के संविधान के अनुच्छेद 31ख के साथ पठित 9वीं अनुसूची में शामिल करने का आग्रह किया गया है। मुख्यमंत्री ने पहले ही यह आश्वासन दे दिया था कि यह विधेयक राज्य विधानसभा के चालू सत्र के दौरान लाया जाएगा।
इस विधेयक में पिछड़े वर्ग ‘ए’, पिछड़े वर्ग ‘बी’ और पिछड़े वर्ग ‘सी’ के लिए श्रेणी I तथा II पदों के लिए अनुसूची I, II औरU III में आरक्षण को 10 प्रतिशत, 5 प्रतिशत और 5 प्रतिशत से बढ़ा कर क्रमश: 11 प्रतिशत, 6 प्रतिशत और 6 प्रतिशत करने का प्रावधान है।
सामान्य जाति वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के व्यक्तियों के लिए पांच प्रतिशत के मौजूदा आरक्षण को भी बढ़ा कर सात प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया है। इस विधेयक में कहा गया है कि इस अधिनियम में दी गई किसी बात के होते हुए भी, राज्य सरकार समय-समय पर, जैसा यह आवश्यक समझे, व्यक्तियों के ऐसे प्रवर्ग या प्रवर्गों के लिए हॉरिजॉन्टल आरक्षण उपलब्ध करवा सकती है।
विभिन्न जातियों के सामाजिक तथा आर्थिक विषयों का समाधान करने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 340 के अधीन उपबन्ध के अनुसार, हरियाणा सरकार द्वारा माननीय न्यायाधीश श्री गुरनाम सिंह (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता के अधीन 7 सितंबर 1990 को इसका प्रथम पिछड़ा वर्ग आयोग स्थापित किया गया था।