विश्व जल दिवस : पांच साल में बचाया पांच करोड़ लीटर पानी

दुनियाभर के विद्वानों का मानना है कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए होगा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने टाउनशिप की प्लानिंग ही इस तरह की, जिससे रोजाना कम से कम 30 से 40 फीसदी पानी बचाया जा सके। काफी रिसर्च करना पड़ी। अहमदाबाद से लाखों का प्लांट अरेंज किया। तमाम उपायों से हम करीब पांच साल में हम पांच करोड़ लीटर से ज्यादा पानी बचाने में सफल रहे।

ये कहना है ग्रीन होम्स थीम पर बनी शहर की पहली टाउनशिप के जनरल मैनेजर जयदीप कर्णिक का। उन्होंने बताया कि 2011 में लगाए गए रिसाइकलिंग प्लांट से हर रोज 30 से 35 हजार लीटर पानी की बचत हो रही है। फिलहाल टाउनशिप में करीब 275 परिवार रह रहे हैं। जो आमतौर पर रोज एक लाख लीटर पानी उपयोग करते हैं। इनमें से फ्लश और गार्डनिंग के लिए यूज होने वाला 35 लाख लीटर पानी रिसाइकल होता है। मीटर के जरिए पानी का पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है।

पीने लायक होता है पानी

घरों से एकत्र हजारों लीटर वेस्ट वाटर की रिसाइकिलिंग का काम पूरी तरह ट्रेंड ऑपरेटर्स करते हैं। कलेक्शन के बाद पानी में ऑक्सीजन मिलाकर मिथेन जैसी गैसें निकाली जाती हैं। फिल्ट्रेशन, डिकैन्डेशन (निथारना), ब्लीचिंग, क्लोरिनेशन के बाद पीएच और दूसरे एनालिसिस के बाद पानी फ्लशिंग और गार्डनिंग टैंक में एकत्र किया जाता है। कर्णिक के मुताबिक इस तरह ट्रीट पानी सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में पीने में भी यूज किया जाता है मगर हमारे देश में प्रचलित मान्यताओं के कारण अभी लोग इसे पीने से हिचकते हैं।

स्माल स्केल पर भी उपलब्ध

कर्णिक के मुताबिक अब तक लार्ज स्केल पर तैयार किए जा रहे रिसाइकिलिंग यूनिट को छोटे स्केल पर भी उपलब्ध कराने की शुरुआत हो चुकी है। 50 फैमिलीज मिलकर अपनी यूनिट भी लगा सकते हैं। फील्ड की कई बड़ी कंपनियां नई तकनीक लेकर आ रही हैं। इससे प्लांट की कीमत भी कम हो रही है।

बूंद-बूंद पानी बचाने का जतन

देवगुराड़िया स्थित कॉलोनी के बिल्डर-डेवलपर राजेश अग्रवाल ने सड़कों, मैदानों, घरों, कार्यालयों में बेकार बह जाने वाली पानी की एक-एक बूंद को सहेजने का जतन किया है। इसके लिए उन्होंने लाखों लीटर जल क्षमता की वाटर रिचार्जिंग यूनिट लगाई है।

करीब 15 फीट गहरे और 100 फीट चौड़े वाटर टैंक में 40 फुट का बोरवेल कर उसे फिल्टर मीडिया (पत्थर-गिट्टी के टुकड़े, ईंट, चूरा) आदि से भर दिया जाता है। यूं तो सालभर में इसमें कई बार पानी भर जाता है, मगर सबसे ज्यादा पानी की बचत बारिश में होती है। अग्रवाल के मुताबिक थोड़े से प्रयास वो हर साल पांच से सात लाख लीटर पानी की बचत कर रहे हैं।

 

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