गुमला: 23 बच्चों को नक्सलियों के गढ़ से निकाला

गुमला: जमटी गांव के इन बच्चों को भाकपा माओवादी के हार्डकोर नक्सली नकुल यादव ने ग्रामीणाें से मांगा था, ताकि वह नक्सली बाल दस्ता बना सके. नक्सलियों द्वारा बच्चा मांगे जाने के बाद से परिजन दहशत में थे. नक्सली बच्चों को अपने साथ ले जाते, उससे पहले डीआइजी आरके धान व एसपी भीमसेन टुटी के नेतृत्व में पुलिस फोर्स गांव में घुसी और गांव के सभी बच्चों को अपने संरक्षण में ले लिया. अभी बच्चे पुलिस की निगरानी में हैं. इन बच्चों को पुलिस पढ़ायेगी. गुमला के छात्रावास में बच्चों को रखा जायेगा, ताकि वे इंटर तक नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण कर सकें.

नक्सलियों के डर से पुलिस के साथ भेजा : सोमवार को डीआइजी आरके धान, एसपी भीमसेन टुटी, एएसपी पवन कुमार सिंह व सीआरपीएफ के सीओ भीपी सिंह पुलिस फोर्स के साथ जमटी गांव पहुंचे. पूरे गांव में पहले सर्च ऑपरेशन चलाया. ग्रामीणों से बात की. डीआइजी ने ग्रामीणों से बात कर बच्चों के भविष्य के लिए उन्हें पढ़ाने के लिए अपने साथ भेजने की अपील की. परिजन इस डर से कि नक्सली ले जायें, इससे अच्छा है कि बच्चे पुलिस संरक्षण में रह कर पढ़ाई-लिखाई करें. इसलिए परिजन बच्चों को पुलिस के साथ भेजने पर राजी हाे गये.

जमटी में पुलिस पिकेट बनेगा
जमटी, कटिया, कुमाड़ी, जोरी गांव घोर नक्सल प्रभावित है. यहां नक्सली अक्सर गांव में घूमते मिलते हैं. जब पुलिस पहुंचती है, तो नक्सली सेफ जोन में चले जाते हैं. इसलिए पुलिस विभाग जमटी मोड़ के समीप पुलिस पिकेट बनाने जा रहा है. डीआइजी व एसपी ने पुलिस पिकेट के लिए स्थल का निरीक्षण भी किया है.

नकुल ने हर घर से बच्चा मांगा था
गांववालों द्वारा बच्चे नहीं दिये जाने के बाद 15 दिन पहले माओवादियों ने जमटी गांव को तीन दिन तक नजरबंद रखा था. माओवादी गांव में ही कैंप करने लगे थे. जंगल से लकड़ी काटने पर रोक लगा दी थी. सूखी लकड़ी ले जाने पर 250 रुपये वसूल रहे थे. नक्सलियों ने हरेक परिवार से एक बच्चा मांगा था. इससे ग्रामीण खौफ में जी रहे थे.

इधर, बोरहा से एक बच्चा ले गये नक्सली
सूचना है कि नक्सली बोरहा गांव से एक बच्चे को अपने साथ जबरन ले गये हैं. पांच दिन पहले नक्सली बोरहा पहुंचे थे. एक व्यक्ति से बच्चा मांगा था. परिजनों ने इनकार किया, नक्सली बंदूक के बल पर ले गये.

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