दरअसल दो प्रकार के बैक्टेरिया मारने के लिए कंपनी दो रसायन को एक ही टेबलेट में मिक्स करती थी। इससे मरीज को दवाएं कम लेना पड़ती थीं, लेकिन जेब पर काफी असर पड़ता था। क्योंकि कॉम्बीनेशन के नाम पर कंपनियां मनमाने दाम वसूलती थीं, वहीं प्रायवेट डॉक्टरों को भी इन दवाओं को चलाने के लिए मोटा कमीशन दिया जाता था, लेकिन अब डीपीसीओ की योजना सिंगल ड्रग फार्मूले को बढ़ावा देना है। इसके चलते केन्द्र सरकार द्वारा 350 कॉम्बीनेशन वाली दवाओं पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब कंपनियों को हर बीमारी की अलग-अलग दवा बनानी होगी।
कितना फर्क पड़ेगा:
बीमारियों की अलग-अलग दवाएं लिखने पर 10-15 फीसदी तक सस्ती पड़ेंगी, जबकि कुछ दवाओं के दाम तो 50 फीसदी तक कम होंगे। उदाहरण के लिए पैरासिटामॉल, सिट्रजिन, कैफीन की अलग-अलग टेबलेट 1 रुपए की आती है, जबकि तीनों के कॉम्बीनेशन वाली टेबलेट 5 रुपए की पड़ती है।
एक के बदले तीन टेबलेट:
ये है कुछ कॉम्बीनेशन बीमारी अब ये होगा
विष्णु सिंघल, अध्यक्ष कैमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन
केन्द्र सरकार ने 350 कॉम्बीनेशन वाली दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके पीछे कारण कॉम्बीनेशन का तर्क संगत नहीं होना बताया गया है। – संजीव जादौन, ड्रग कंट्रोलर