सोमवार शाम को निकली गैती यात्रा के बाद पीजी कॉलेज ग्राउंड पर धर्मसभा का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भागीदारी की। रात को कलाकार बाबा सत्यनारायण मौर्य ने रोचक और चित्रात्मक तरीके से कार्यक्रम प्रस्तुत किया। मंगलवार अलसुबह साढ़े 5 बजे से ग्रामीणों ने हलमा की तैयारियां शुरू कर दी। तैयार होकर हाथीपावा की पहाड़ियों के लिए पैदल निकल पड़े।
9 वर्ग किमी की हाथीपावा की पहाड़ियों की रंगत बदली
सुबह 7 बजे श्रमदान का दौर शुरू हो गया। ग्रामीण अपने-अपने क्षेत्र के हिसाब से आई कार्ड और झंडे के रंग वाली जगह पर पहुंच गए और बिना इंतजार के लिए काम शुरू कर दिया। सुबह 7 बजे काम शुरू हुआ। देखते ही देखते 9 वर्ग किमी की हाथीपावा की पहाड़ियों की रंगत अलग सी दिखाई देने लगी। दूर-दूर तक श्रमदान करते कार्यकर्ता दिख रहे थे। खुदाई की अलग रंग की मिट्टी से पहाड़ियां पटने लगी। दोपहर 12 बजे तक ये सिलसिला चलता रहा। अतिथियों ने इस दृश्य को शानदार करार दिया। शिवगंगा के महेश शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि ये आदिवासियों की सोच की समृद्धि और उनके सेवाभाव का उदाहरण है। उनकी परंपराओं का हमें मान करना चाहिए।
दूर-दूर से आए लोग
हलमा कार्यक्रम को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आए। खास तौर पर आयोजन में शृंगरी पीठ के काड़सिद्धेश्वर स्वामी, राज्यसभा सदस्य वसवराज पाटिल और बाबा सत्यनारायण मौर्य शामिल हुए। इनके अलावा गायत्री परिवार के वीरेश्वर उपाध्याय, गुजरात के एनआरआई यश पटेल, उनकी पत्नी, बड़ौदा से रमेश पटेल जो पूर्व में लंदन में रहते थे, मुंबई से रवींद्र नीखे, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोश्यल स्टडीज के प्रो. रविराज, पुणे से गिरीश प्रगुणे आदि शामिल हुए। स्थानीय स्तर पर आयोजन में राजाराम कटारा, भंवरसिंह भयड़िया, बहादुरभाई, राजेश मेहता, विकास शाह, नीरज राठौर, सुशील शर्मा आदि का भी सहयोग रहा।