न्यायपालिका के सामने विश्वसनीयता का संकट : चीफ जस्टिस

इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 150 वें स्थापना दिवस समारोह में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश ने कहा कि देश की न्यायिक व्यवस्था के सामने सबसे बड़ा सवाल विश्वसनीयता का है. बडी संख्या में लंबित मामलों के चिंता का विषय होने के बीच प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि कई मौकों पर मामलों के निस्तारण में बार का रवैया बहुत सहयोगात्मक नहीं रहता है भले ही न्यायाधीश अधिक समय देने को तैयार रहते हों.

न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि न्यायपालिका एक संस्था के तौर पर विश्वसनीयता के संकट का सामना कर रही है, जो एक अंदरुनी चुनौती है और न्यायाधीशों से अपने कर्तव्यों के प्रति कर्तव्य परायण रहने को कहा.इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 150 वें स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि न्याय अवश्य पहुंच योग्य, वहनीय और त्वरित होना चाहिए ताकि लोग न्याय का मतलब समझ सकें.

सीजेआई ने कहा कि वह वकीलों को आश्वस्त कर सकते हैं कि अगर बार सहयोग करे तो न्यायाधीश पुराने मामलों और खासतौर पर लोगों के वर्षों से जेल में पडे होने के मामलों को निपटाने के लिए शनिवार को भी बैठने को तैयार होंगे.उन्होंने कहा, ‘‘कई बार न्यायाधीश महसूस करते हैं कि मामलों के निस्तारण में विलंब इसलिए होता है क्योंकि बार कई बार सहयोग नहीं करता है.’ उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के रिक्त पदों पर चिंता जताते हुए मुखर्जी ने कहा कि सभी उच्च न्यायालयों को मिलाकर 1056 न्यायाधीशों के स्वीकृत पदों की तुलना में एक मार्च 2016 तक सिर्फ 591 न्यायाधीश हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 160 न्यायाधीशों के स्वीकृत पद हैं लेकिन मुख्य न्यायाधीश समेत सिर्फ 71 न्यायाधीश हैं. तकरीबन 9.11 लाख मामले फरवरी 2016 तक इस अदालत में लंबित हैं जबकि 2014 में लंबित मामलों की संख्या 10.1 लाख थी।’ राष्ट्रपति ने कहा कि सरकारों, न्यायाधीशों और वकीलों को अवश्य साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि न्याय को हकीकत का रुप दिया जा सके. उन्होंने कहा, ‘‘देर से न्याय, न्याय नहीं देने के समान है. मैं आश्वस्त हूं कि केंद्र और राज्य सरकारें लंबित मामलों को घटाने के प्रयास में इलाहाबाद उच्च न्यायालय को सभी तरह का समर्थन देंगी.

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