एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड को फटकार लगाकर मांगा पाई-पाई का हिसाब

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली जल बोर्ड को फटकार लगाते हुए फिर से निर्देश दिया है कि यमुना को लेकर यदि कहीं प्रबंधन की जरूरत है तभी फंड से खर्च किया जाए। इसके अलावा यदि बिना इजाजत एक भी पाई नहीं खर्च होनी चाहिए। एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड से यमुना पर रोक के बावजूद किए गए खर्च का हिसाब मांगा था।

बोर्ड ने इस संबंध में एक हलफनामा ट्रिब्यूनल में पेश किया, अस्पष्ट जानकारियों को लेकर बेंच ने कड़ी फटकार लगाई है। बेंच ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड यमुना के लिए प्रत्येक काम पर खर्च किए गए हर पैसे की विस्तृत और पूर्ण जानकारी ट्रिब्यूनल को दे। मामले की अगली सुनवाई 16 मार्च को होगी। जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली बेंच ने यमुना जिए अभियान के संयोजक मनोज मिश्रा के मामले पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया है।

बीती सुनवाई में बेंच ने दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य अभियंता को कारण बताओ नोटिस जारी कर कहा था कि वे हलफनामा दाखिल कर ये बताएं कि आखिर रोक के बावजूद दिल्ली जल बोर्ड ने योजनागत व्यय से सीवरेज और ड्रेनेज के लिए बड़े पैमाने पर कैसे पैसा खर्च किया गया।

एनजीटी ने बीते वर्ष यमुना मामले पर बोर्ड को बिना इजाजत लिए पैसा खर्च करने पर रोक लगा दिया था। साथ ही अपनी टिप्पणी में कहा था कि हमने स्पष्ट आदेश दिया था कि सिवाय प्रबंधन कार्य के यमुना से जुड़े निर्माण संबंधी किसी भी काम को शुरू करने से पूर्व ट्रिब्यूनल से इजाजत मांगी जाएगी। बावजूद इसके आदेश का उल्लंघन कर दिल्ली जल बोर्ड ने फंड खर्च किया है।

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