शशिकांत तिवारी, भोपाल। तंगहाली ने बीते दो माह से सरकारी अस्पतालों की सेहत बिगाड़ी दी है। हालात यह हैं कि राजधानी के हमीदिया जैसे बड़े अस्पताल में जीवनरक्षक उपकरणों में सबसे अहम वेंटीलेटर खराब पड़े हैं। अस्पताल प्रबंधन के पास उन्हें सुधारवाने के लिए पैसा नहीं है।
बीते एक सप्ताह से हृदयरोगियों की एंजियोग्राफी भी नहीं हो पा रही है, क्योंकि कैथेटर और डाई खरीदने के लिए पैसे नहीं है। मरीजों को पूरी दवाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। दवा वितरण खिड़की से यह बोला जा रहा है कि दवा का बजट खत्म हो गया है।
छात्रों के पैसे से जमा कर रहे बिजली बिल : पंडित खुशीलाल आयुर्वेद कॉलेज में बिजली बिल व अन्य रुटीन काम के लिए सरकार से पैसा नहीं मिल रहा है। कॉलेज प्रबंधन स्वशासी समिति के फंड से बिजली बिल भर रहा है। जबकि यह पैसा मरीजों के हित में या फिर स्टूडेंट्स पर खर्च किया जाना चाहिए। अस्पताल में कुछ दिन पहले पेंशनर की दवाओं के लिए भी बजट नहीं मिल रहा था, पर अब स्थिति सामान्य हो गई है।
सफाई और सुरक्षा के लिए छह महीने से नहीं मिला पैसा : प्रदेश के ज्यादातर जिला अस्पतालों में सफाई ओर सुरक्षा के लिए पैसा नहीं मिल रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने अलग से ग्लोबल बजट बनाया है, लेकिन में इस हेड में राशि ही नहीं डाली जा रही है। जेपी अस्पताल में हर महीने 7 लाख रुपए सफाई और सुरक्षा पर खर्च होते हैं। यह काम करने वाली रतन सिक्यूरिटी के 50 लाख रुपए से ज्यादा उधारी हो चुकी है।
जेपी में इन दवाओं की कमी
– सिट्रामाइड ट्यूब- स्किन क्रीम
– एडजेल- दांत साफ करने के लिए
– डायक्लोफेनिक जेल- दर्द के लिए
– कोट्रीमिक्साजोल सीरप- एंटीबायोटिक
– एमाक्सिसलीन कैप्सूल- एंटीबायोटिक
– डाइसाइक्लोमिल सीरप- पेट दर्द के लिए
दावा : भोपाल की सीएमएचओ डॉ. वीणा सिन्हा ने बताया कि खरीदी पर रोक लगी हुई है। फिर भी दवाएं व अति जरूरी सामान खरीदे जा रहे हैं।
हकीकत : दवाएं व इंप्लांट सप्लाई करने वाली कंपनियों व दुकानदारों ने अब हाथ खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है पहले लाखों रुपए का पिछला बकाया भुगतान करो तब आगे सप्लाई होगी।
असर : बजट की कमी के चलते कई बड़े प्रोजेक्ट भी अटके हुए हैं। एनएचएम व आरसीएच के तहत मार्च तक भोपाल में 42 करोड़ मिलने थे, पर अभी तक मिले सिर्फ 28 करोड़। कई प्रोजेक्ट लटके।
बिना पैसे अटके जरूरी काम
हमीदिया में हफ्ते भर से एंजियोग्राफी का सामान नहीं आ रहा है। 34 मरीज एंजियोग्राफी के लिए परेशान हो रहे हैं। इसी तरह फरवरी में करीब हफ्ते भर के लिए सामान की सप्लाई बंद थी। गांधी मेडिकल कॉलेज में उपकरणों की मरम्मत के लिए अगस्त के बाद से पैसा नहीं मिला है। अस्पताल के 23 उपकरण अगस्त यह उसके पहले से खराब पड़े हैं। इसमें 5 वेंटीलेटर व पल्स ऑक्सीमटर जैसे जरूरी उपकरण भी हैं। डीन डॉ. उल्का श्रीवास्तव ने उपकरणों के लिए बजट नहीं होने की पुष्टि की है।
सीएमएचओ भोपाल पर पौने दो करोड़ उधार
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सीएमएचओ को दवा खरीदी के लिए 11 करोड़ रुपए मिले थे, लेकिन अब खजानेमें करीब 2 लाख रुपए ही बचे हैं। इसे भी अतिआवश्यक दवाओं के लिए बचाकर रखा है।
सीएमएचओ ने दवाओं की खरीदी तो कर ली, पर पैसे नहीं होने की वजह से सप्लायारों के करीब पौने दो करोड़ का भुगतान अटका है।
30 लाख की उधारी : हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल में दीनदयाल अंत्योदय उपचार योजना का बजट महीने भर से खत्म है। सप्लायरों की करीब 30 लाख रुपए की उधारी हो गई है। अस्पताल में दवा नहीं होने के कारण बीपीएल मरीजों को भी दवाएं बाजार से खरीदना पड़ रही हैं। हमीदिया अस्पताल के स्टोर प्रभारी डॉ. आसिफ खान ने बताया कि हर साल करीब दो करोड़ रुपए बजट मिलता है, लेकिन अभी तक पूरी राशि नहीं मिली।
सफाई और सुरक्षा के लिए 20 करोड़ रुपए अभी जिलों को दिए गए हैं। खाने के बजट में कहीं भी दिक्कत नहीं है। – डॉ. केके ठस्सू, स्वास्थ्य संचालक (अस्पताल प्रशासन)