आदिवासियों की नेता सोनी सोरी के चेहरे पर केमिकल से हमले के बाद अब उनके घर में पर्चे फेंके गए हैं जिनमें उनके बच्चों पर हमले की धमकी दी गई है.
बीबीसी स्टूडियो में एक विशेष बातचीत में सोनी ने ये बताते हुए कहा कि इसके बावजूद उनके बच्चे बेख़ौफ़ हैं.
सोनी का आरोप है कि वो पिछले दिनों आदिवासियों की सुरक्षा बलों के हाथों कथित प्रताड़ना पर एफ़आईआर दर्ज कराने की नाकाम कोशिशें करती रही हैं.
उनका मामना है की इन्हीं वजहों से ही उन्हें निशाना बनाया गया है.
उनका आरोप है कि उन पर हुए हमले के पीछे बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक एसआरपी कल्लूरी का हाथ है. हालाँकि कल्लूरी इससे पहले इन आरोपों से इंकार करते आए हैं.
सोरी के मुताबिक पिछले सालों में बस्तर में हालात बहुत बद्तर हो गए हैं, ख़ास तौर पर औरतों के बलात्कार और यौन हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं.
वो कहती हैं कि नक्सलियों के साथ संबंध होने के आरोप में घर के आदमियों को अक़्सर उठा लिया जाना या मार दिए जाने से औरतें और असुरक्षित हो गईं हैं.
क़रीब 15 दिन पहले हुए हमले के बाद सोनी के चेहरे की त्वचा जल गई थी जो एक परत की तरह अब उतर गई है. अभी चेहरे पर फफोड़े हो गए हैं जिन्हें रोज़ साफ़ कर मलहम लगाना पड़ता है.
इस सबके बावजूद सोनी कहती हैं कि वो डरी नहीं हैं और बस्तर जाकर उन्हीं मुद्दों पर आवाज़ उठाना चाहती हैं जैसे पहले कर रही थीं.
सोनी पर हमले से पहले, छत्तीसगढ़ में काम कर रही पत्रकार मालिनी सुब्रमण्यम और आदिवासियों की मुफ़्त क़ानूनी मदद करने वाली संस्था जगदलपुर लीगल एड ग्रुप की महिला वकीलों ने भी आरोप लगाया था कि बस्तर पुलिस की प्रताड़ना के कारण वे जगदलपुर छोड़ने के लिए मजबूर हैं.
पुलिस ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है. मानवाधिकार आयोग की एक टीम छत्तीसगढ़ का दौरा कर पड़ताल कर रही है.
सोनी सोरी को अक्तूबर 2011 में माओवादियों के साथ संबंध होने के आरोप में दिल्ली से गिरफ़्तार किया गया था.
पर सोनी पर लगाए गए आठ मामलों में से सात में वो बरी हो चुकी हैं और एक में उन्हें ज़मानत मिली हुई है.
हिरासत में लिए जाने के एक हफ्ते के अंदर ही सोरी ने ये इल्ज़ाम लगाया था कि पुलिस हिरासत में उनके साथ बलात्कार किया गया और उनके गुप्तांगों में पत्थर डाले गए.
(दिव्या आर्या की रिपोर्ट)