नई दिल्ली। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि आधे से ज्यादा परिवारों के दो से ज्यादा बच्चे नहीं हैं। सोमवार को जारी की गई 2011 की जनगणना के आंकड़ों से यह बात सामने आई है।
54 फीसद विवाहित महिलाओं के दो या इससे कम बच्चे हैं। साल 2001 की जनगणना के आंकड़ों से तुलना करें, तो उस वक्त 46.6 फीसदी माताओं के दो या इससे कम बच्चे थे।
2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक देश में 34 करोड़ शादीशुदा महिलाएं हैं और 92 करोड़ बच्चे हैं। यानी औसतन हर शादीशुदा महिला के 2.69 बच्चे हैं। साल 2001 में एक ओर जहां 27 करोड़ विवाहित महिलाएं दर्ज की गई थीं और उनके 83 करोड़ बच्चे थे।
पिछली जनगणना का यह औसत 3.03 बच्चे प्रति विवाहित महिला का था। बीते दशकों की तुलना में महिलाओं की औसत संख्या में यह गिरावट सबसे तेजी से हुई है। जनगणना के आंकड़ें एक और महत्वपूर्ण बदलाव की तरफ इशारा करते हैं। महिलाएं मां बनने के फैसले को आनेवाले सालों के लिए टाल रही हैं।
साल 2011 में 20-24 साल के आयु वर्ग की महिलाओं में 35 फीसद का कोई बच्चा नहीं था, जबकि 2001 में इनकी तादाद 32 फीसद थी। 25-29 साल के आयुवर्ग में 16 फीसद महिलाएं निस्संतान दर्ज की गईं जबकि 2001 में इनकी संख्या 13.4 फीसद थी