पर्यावरण संरक्षण की दुहाई देकर सभी तरह की कारों पर अतिरिक्त टैक्स का बोझ डाला गया है लेकिन इससे जीवनशैली पर खासा असर पड़ने वाला है। अमीरों के साथ-साथ मध्यम वर्ग पर भी चपत लगाई गई है। छोटी कार अब मध्यम वर्ग की जरूरतों में शुमार है।
बैंक ऋण को आसान बनाकर पहले इसे सुलभ बनाया गया और अब इसकी कीमत में बढ़ोतरी कर सरकार मध्यम वर्ग पर बोझ डालने की कोशिश कर रही है। चार फीसदी के इंफ्रास्ट्रक्चर सेस से सभी तरह की कारें महंगी हो जाएंगी। सबसे अधिक मार डीजल कारों पर पड़ेगी।
इस पर अतिरिक्त कर 2.5 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है। दस लाख रुपये से अधिक की लग्जरी कारों और दो लाख रुपये से अधिक की वस्तुओं और सेवाओं की नकद खरीद पर स्रोत पर ही एक प्रतिशत कर लगा दिया गया है। वित्त मंत्री का तर्क है कि संपन्न वर्ग पर इस लेवी से समय पर कर संग्रहण बढ़ेगा लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि दो लाख रुपये से अधिक की खरीद को सिर्फ संपन्न वर्ग से नहीं जोड़ा जा सकता।