संसद में शुक्रवार को पेश वित्त वर्ष 2015-16 की आर्थिक समीक्षा की मुख्य बातें इस प्रकार हैं।
– जीडीपी की वृद्धि 2016-17 में 7-7.5 प्रतिशत रहेगी।
– चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहेगी, यदि निर्यात में तेज बढ़ोतरी हो तो दीर्घकाल में संभावित वृद्धि की क्षमता 8-10 प्रतिशत तक।
– वैश्विक स्तर पर निराशा के वातावरण में भारत स्थिरता की भूमि।
– कच्चे तेल का भाव अगले वित्त वर्ष में 35 डॉलर प्रति बैरल रहेगा जो इस वर्ष 45 डॉलर प्रति बैरल है।
– 2016-17 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.5-पांच प्रतिशत रहने का अनुमान।
– मुद्रास्फीति में मजबूती के साथ निम्न स्तिर पर, मूल्य स्थिरता बढ़ी है।
– वेतन आयोग की सिफारिश लागू करने से मूल्य अस्थिरता नहीं आएगी।
– कर का दायरा बढ़ाया जाए, 20 प्रतिशत से अधिक लोगों को कर के घेरे में लाया जाए जो फिलहाल आबादी का 5.5 प्रतिशत है।
– चुनौतीपूर्ण वाह्य वातावरण आर्थिक नीतियों के लिए आशंका पैदा करेगा।
– राजकोषीय घाटा इस साल 3.9 प्रतिशत तक सीमित करने का लक्ष्य हासिल हो जाएगा, आने वाला साल चुनौतीपूर्ण है।
– अगले वित्त वर्ष में सब्सिडी बिल सकल घरेलू उत्पाद के दो प्रतिशत से कम रहेगा।
– जीएसटी विधेयक में देरी पर चिंता।
– कंपनियों, बैंकों की वित्तीय स्थिति पर दबाव बरकरार। चार और उपायों, पहचान, पुर्नपंजीकरण, समाधान,
समाधान और सुधार पर बल।
– सरकारी क्षेत्र बैंकों को 2018-19 तक 1.8 लाख करोड़ रुपए की इक्विटी पूंजी की जरूरत।
– चालू खाते का घाटा 1-1.5 प्रतिशत, विदेशी मुद्रा भंडार फरवरी मध्य तक 351.5 अरब डालर।
– वित्त वर्ष 2015-16 में सेवा क्षेत्र की वृद्धि 9.2 प्रतिशत।
– विदेशी पूंजी निकासी संभव को देखते हुए घरेलू मांग बढ़ाने का सुझाव।
– हालिया सुधार के कारण औद्योगिक, बुनियादी ढांचा, कारपोरेट क्षेत्रों के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद।
– स्वास्थ्य, शिक्षा, में और निवेश, कृषि पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत।
– सरकारी कर राजस्व बजट अनुमान से अधिक रहेगा।
– निर्यात में नरमी बरकरार रहेगी, अगले वित्त वर्ष में तेजी आएगी।
– भारत को व्यापार में संरक्षणवादी पहलों के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।
– उर्वरक क्षेत्र के लिए सुधार पैकेज का सुझाव।