सरकार चालू वित्त वर्ष में 3.9 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल कर लेगी, लेकिन सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने और वैश्विक अर्थव्यवस्था के धीमा होने से 2016-17 में इसे पूर्व के अपेक्षित दायरे में रखना चुनौतीपूर्ण होगा।
सरकार ने मध्यावधिक राजकोषीय सुदृढीकरण योजना के तहत अगले वित्त वर्ष के लिये राजकोषीय घाटा जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 3.5 प्रतिशत और वर्ष 2017-18 में इसे जीडीपी के 3 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है।
वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा संसद में पेश 2015-16 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है। राजकोषीय नजरिये से आने वाला वर्ष चुनौतीपूर्ण रह सकता है। वैश्विक नरमी की आशंका के मददेनजर 2016-17 में आर्थिक वद्धि दर में 2015-16 के बाद उल्लेखनीय वृद्धि की गुंजाइश बहुत ज्यादा नहीं है।
समीक्षा के अनुसार आर्थिक वृद्धि दर 2016-17 में 7.0 से 7.75 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि सरकार ने चालू वित्त वर्ष में इसके 7.6 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी है।
इसमें कहा गया है, पुन: वेतन आयोग की सिफारिश को लागू करना और वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) योजना के क्रियान्वयन से व्यय पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। बेहतर कर प्रशासन के जरिये कर अनुपालन में सुधार, नये संसाधनों का उपयोग आदि जैसे उपायों से और राजस्व जुटाने में मदद मिल सकती है और राजकोषीय घाटे को संशोधित रूपरेखा के तहत अनुमानित स्तर पर बनाये रखने में मदद मिलेगी।
समीक्षा के अनुसार सतत राजकोषीय मजबूती हासिल करने के लिहाज से व्यय की गुणवत्ता में सुधार महत्वपूर्ण है। इसमें कहा गया है कि लक्ष्य के अनुसार चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 3.9 प्रतिशत हासिल करना संभव जान पड़ता है।
समीक्षा के मुताबिक यह आकलन चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीने में राजस्व एवं व्यय के प्रतिरूप पर आधारित है।