इसे शोषण की इंतहा की कहा जा सकता है। राज्य में स्कूली शिक्षा विभाग के गठन के साथ ही बच्चों को पानी पिलाने की सुविधा आधी सदी बाद शोषण की शायद सबसे बड़ी नजीर बन गई है।
इस काम में तैनात की गई महिला वर्करों को मेहनताने के एवज में आज भी रोज का एक रुपया देने का प्रावधान है। और तो और मेहनताने की राशि का भुगतान कभी कुछ महीनों के बाद तो कई बार साल के बाद एकमुश्त किया जाता है।
शिक्षा विभाग के अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जम्मू संभाग के दस जिलों में 1795 कांटिजेंट पेड वर्कर तैनात की गई थीं। इनकी नियुक्ति राज्य के स्कूली शिक्षा विभाग के गठन के साथ ही कर दी गई।
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