नई दिल्ली। वैश्विक मंदी के थपेड़े और सूखे की मार से सहमी अर्थव्यवस्था उच्च वृद्धि दर की राह पर आने को संघर्ष कर रही है। मैन्युफैक्चरिंग में उछाल और कृषि क्षेत्र में सुधार के संकेत के साथ चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो पिछले साल की 7.2 प्रतिशत से अधिक है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का यह अनुमान सरकार और रिजर्व बैंक की भविष्यवाणी से तो बेहतर है लेकिन आम बजट 2015-16 में विकास दर के लक्ष्य 8.1 से 8.5 प्रतिशत से कम है। खास बात यह है कि चालू वित्त वर्ष के तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में विकास दर 7.3 प्रतिशत रही है। इसे देखते ही उद्योग जगत ने उम्मीद जताई है कि सरकार 29 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट में विकास दर को बढ़ावा देने वाले उपाय का एलान करेगी।
केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (सीएसओ ) ने सोमवार को जीडीपी के आधिकारिक आंकड़े जारी कर वित्त वर्ष 2015-16 में विकास दर 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया। विकास दर का यह स्तर बीते पांच साल में सर्वाधिक है। इससे पूर्व 2010-11 में विकास दर 8.9 प्रतिशत थी। हालांकि 2010-11 की वृद्धि के ये आंकड़े 2004-05 के आधार वर्ष और पुरानी पद्धति पर आधारित हैं। नए तरीके पर जीडीपी के आंकड़ों की विश्वसनीयता को लेकर रिजर्व बैंक सहित कई संस्थाओं ने सवाल भी उठाए हैं।
बहरहाल सरकार ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में वृद्धि के आंकड़ों पर संतोष जताया है। वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव शक्तिकांत दास का कहना है कि विकास दर के आंकड़े सकारात्मक दिशा में हैं। सरकार ने बीते डेढ़ साल में जो सुधार किए हैं, उसका प्रभाव आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा। चालू वित्त वर्ष में जहां तक तिमाही आधार पर विकास दर का सवाल है तो तीसरी तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर) के बीच जीडीपी में 7.3 प्रतिशत वृद्धि हुई है जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में करीब 6.5 प्रतिशत वृद्धि से अधिक है। हालांकि यह पहली तिमाही (अप्रैल-जून) की 7.6 प्रतिशत और दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) 7.7 प्रतिशत की अपेक्षा कम है।
अर्थव्यवस्था की क्षेत्रवार तस्वीर देखने पर पता चलता है कि कृषि पर लगातार सूखे की जबर्दस्त मार पड़ी है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में कृषि, वानिकी और मत्स्य क्षेत्र की विकास दर नकारात्मक यानि -1.0 प्रतिशत रही है। वैसे सीएसओ का अनुमान है कि सालाना आधार पर वित्त वर्ष 2015-16 की पूरी अवधि में कृषि की वृद्धि दर थोड़ी सुधरकर 1.1 प्रतिशत रहेगी जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह नकारात्मक -0.2 प्रतिशत थी।
चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र ने 12.6 प्रतिशत की शानदार वृद्धि दर्ज की है। सालाना आधार पर देखेंगे तो पूरे वित्त वर्ष के दौरान विनिर्माण में 9.5 प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसमें 5.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के मद्देनजर विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि उत्साहजनक है। वित्त वर्ष 2015-16 की तीसरी तिमाही में खनन क्षेत्र में 6.5 प्रतिशत तथा सेवाओं में लगभग 10 प्रतिशत वृद्धि हुईहै। फिक्की के महानिदेशक दीदार सिंह का कहना है कि सरकार को आम बजट में अर्थव्यवस्था को सकारात्मक दिशा में ले जाने वाले कदम उठाने चाहिए।
प्रति व्यक्ति आय 93,231 रुपये
विकास दर बढ़ने का फायदा यह है कि देश की प्रति व्यक्ति आय चालू वित्त वर्ष में बढ़कर 93,231 रुपये हो गई है जो कि पिछले साल 86,879 रुपये थी। हालांकि 2011-12 के स्थिर मूल्यों पर प्रति व्यक्ति आय 77431 रुपये रहने का अनुमान है।
अर्थव्यवस्था का रिपोर्ट कार्ड
वर्ष विकास दर (फीसद में)
2015-16 7.6
2014-15 7.2
2013-14 6.6
2012-13 5.6
2011-12 6.7
2010-11 8.9