नयी दिल्ली : वाणिज्यिक खनन के लिये कोयला क्षेत्र खोलने के अपने निर्णय पर कदम बढाते हुए सरकार ने केंद्रीय तथा राज्य सार्वजनिक उपक्रमों को कोयले के उत्पादन एवं बिक्री हेतु आबंटन को लेकर 15 ब्लाकों को चिन्हित किया है. इस आबंटन के साथ खनन एवं कोयले की बिक्री पर केंद्र का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा.
एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘‘राज्य एवं केंद्रीय उपक्रमों को वाणिज्यिक खनन के लिये आबंटन हेतु 15 ब्लाक की पहचान की गयी है.’ इनमें से अधिकतर ब्लाकों में शुरुआती ड्रिलिंग के जरिये प्रारंभिक उत्खनन कार्य किया गया है. इसे क्षेत्रीय उत्खनन के नाम से जाना जाता है. उसने कहा कि शुरुआती चरण के उत्खनन में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) बडे क्षेत्रों में क्षेत्रीय उत्खनन का कार्य करता है ताकि कोल सीम, भूगर्भीय ढांचा, संसाधन आदि का पता लगाया जा सके। अधिकारी ने कहा कि ब्लाक का विस्तार से उत्खनन कार्य राज्य एवं केंद्रीय उपक्रमों को उसका आबंटन के बाद होगा.
पिछले महीने कोयला सचिव अनिल स्वरुप ने कहा था, ‘‘हम वाणिज्यिक खनन के लिये शुरुआती जीमनी कार्य तैयार कर रहे हैं….हम कुछ खानों को देख रहे हैं और वैसे खानों को चिन्हित करने के लिये काम शुरु किया गया है.’ लगभग 40 साल में पहली बार सरकार वाणिज्यिक खनन के लिये कोयला क्षेत्र को खोल रही है. यह काम फिलहाल केंद्रीय लोक उपक्रम कोल इंडिया करती है. सरकार ने यह भी साफ किया है कि वाणिज्यिक खनन के निर्णय से कोल इंडिया पर प्रभाव नहीं पडेगा. यह भी कहा गया है कि वाणिज्यिक खनन से कोयले का घरेलू उत्पादन बढेगा.