रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स अब रबी के बजाय खरीफ मौसम में खेती-बाड़ी कर किसानों के गुण सीखेंगे। यह फैसला विवि के बोर्ड ऑफ काउंसिल द्वारा लिया गया है। इसी के तहत इस वर्ष पाटन ब्लॉक के तर्रा गांव में अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों ने ग्रुप बनाकर खेत में काम किया और गांव में कृषि प्रदर्शनी का आयोजन भी किया।
रावे प्रोग्राम के अंतर्गत अंतिम वर्ष के कृषि विद्यार्थियों को छह माह का इंटर्न करना होता है। पहले रबी मौसम में गांव जाकर खेती किसानी के बारे में जानकारी लेते थे, लेकिन इस मौसम में फसलों की बुवाई कम होती है, जिसके कारण इन विद्यार्थियों को फसल से संबंधित जानकारी नहीं मिल पाती थी। इसी के मद्देनजर अब खरीफ मौसम में भेजने का निर्णय लिया गया। तर्रा गांव में विवि के बीएससी कृषि अंतिम वर्ष के छात्रों ने लगभग 15 ग्रुप बनाए और अलग-अलग कामों में भिड़ गए। ये सभी 3 माह तक गांव के ही सामुदायिक भवन में थे। लड़कियों को यहां तक ले जाने के लिए विवि से बस व्यवस्था की गई थी।
विद्यार्थियों ने गांव और आसपास घूम कर खेती-किसानी से संबंधित समस्या जानने का प्रयास किया। अंतिम दिनों में इसी समस्या पर मॉडल बनाकर समाधान से संबंधित प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। छात्रों के इस उत्साह को देखते हुए ग्रामीणों ने फिर से गांव आने की बात कही। और छात्रों ने किसानों को अपने-अपने मोबाईल नंबर भी दिए। रावे इस कार्यक्रम के लिए विद्यार्थियों को 12 सौ की राशि प्रतिमाह देता है।