अभी से बचाइए बूंद-बूंद पानी…

रायपुर। छत्तीसगढ़ के लोगों को अभी से ही बूंद-बूंद पानी बचाने की जरूरत है। वजह यह है कि राज्य के अधिकतर बड़े बांध और जलाशय आधे से ज्यादा खाली हो चुके हैं। आने वाले महीने फरवरी से लेकर जून के पहले पखवाड़े तक सतह का जल स्तर बढ़ने की कोई संभावना नहीं है।

प्रदेश में औसतन 1150 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस साल औसत से 15 फीसदी कम बारिश हुुई है। इस साल अभी से तापमान करीब 30 डिग्री से अधिक हो चुका है। प्रदेश में भीषण गर्मी के समय सही तापमान बढ़कर 47-48 डिग्री तक जाता है। ऐसे में पानी की आवश्यकता प्रति व्यक्ति एवं प्रति परिवार और अधिक बढ़ जाती है।

ये जलाशय सूखने की कगार पर

दुधावा (कांकेर)- 5.93 फीसदी

कुम्हारी (रायपुर)- 8.99 फीसदी

रूसे (राजनांदगांव) – 10.13 फीसदी

बल्लार (बलौदाबाजार)- 11.17 फीसदी

बड़े जलाशय, जिनमें 50 फीसदी से नीचे चला गया जल स्तर

1. मिनीमाता बांगो (कोरबा)- 47.72

2. रविशंकर जलाशय (धमतरी) – 46.84

3. तांदुुला (बालोद)- 34.21

4.खरंग बिलासपुर- 29.95

5. सोंडुर धमतरी- 29.99

6. कोडार महासमुंद- 18.36

7. मनियारी मुंगेली- 33.46

8. मुरुम सिल्ली धमतरी – 46.40

9. गोंडी बालोद- 40.92

10. छीरपानी कबीरधाम -42.01

छत्तीसगढ़ में 42 छोटे बड़े जलाशय हैं, जिनके जल का स्तर सीधे तौर पर भूजल स्तर को प्रभावित करता है। वहीं इनमें अधिकतर जलाशयों का पानी फिल्टर करके शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पीने लायक बनाकर भेजा जाता है। इन जलाशयों में बहुत कम पानी रह गया है।

प्रदेश का सबसे बड़ा बांध मिनीमाता बांगो जलाशय से कोरबा शहर सहित आसपास के कई कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की सप्लाई होती है। इस जलाशय की क्षमता 2894 मिलियन क्यूबिक मीटर है, लेकिन अभी केवल 1381.14 मिलियन क्यूबिक मीटर यानी 47 फीसदी पानी रह गया है। इसी तरह बालोद के तांदुला में केवल 34 फीसदी पानी रह गया है।

गंगरेल में भी घटा पानी

प्रदेश का दूसरा सबसे बड़े बांध गंगरेल में 46 फीसदी पानी रह गया है। यह बांध सिंचाई, पीने के पानी और उद्योगों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। 11 जिलों में सिंचाई इस बांध से होती है। वहीं राजधानी रायपुर सहित दर्जन भर छोटे बड़े शहरों को पीने का पानी इसी जलाशय से मिलता है। बारिश की कमी के कारण इस बार गंगरेल बांध ठीक तरह से नहीं भर पाया था। अब पानी नहीं बचाया गया तो बांध तेजी से सूखेगा।

चार बांध सूखने के कगार पर

प्रदेश के चार बांध अभी से सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं। दुधावा (कांकेर)में केवल 5.93 फीसद पानी रह गया है। जाहिर है यह पानी भी अगले महीने तक सूख जाएगा। इसी तरह कुम्हारी (रायपुर) 8.99 फीसदी, रूसे (राजनांदगांव) 10.13 फीसदी और बल्लार (बलौदाबाजार) 11.17 फीसदी पानी रह गया है। ये बांध अगले महीने तक पूरी तरह सूख जाएंगे।

प्रदेश में पेयजल और निस्तारी के लिए पानी रखा गया है। इससे आवश्यकता की पूर्ति तो होगी, लेकिन साथ ही पानी को व्यर्थ बहने नहीं दिया जाएगा। अभी भी पानी बचाने की जरूरत है। -एचआर कुटारे, ईएनसी, जल संसाधन विभाग

छत्तीसगढ़ इस साल औसत से 15 फीसदी कम बारिश हुई है। अगला मानसून आने तक अगर हल्की-फुल्की बारिश भी होती है तो इससे जल स्तर में बड़ा इजाफा नहीं होगा। – एमएलसाहू, निदेशक, मौसम विभाग रायपुर

 

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