इंदौर। मालवा में आलू की लगभग आधी फसल को बिगड़ैल मौसम चट कर जाएगा। इस साल सर्दी के मौसम में भी अधिक तापमान के कारण आलू की फसल नहीं जमी। कई जगह अधिक गर्मी के कारण अंकुरण नहीं हो पाया। ऊपर से जलस्रोतों ने समय से पहले दम तोड़ दिया। इंदौर संभाग में गत वर्ष की तुलना में किसानों ने आलू का रकबा तो बढ़ाया, लेकिन मौसम दगा दे गया। कई किसानों ने अक्टूबर, नवंबर में ही आलू बो दिया था। उस आलू को उतनी सर्दी नहीं मिल पाई जो पैदावार के लिए जरूरी होती है।
नतीजतन आलू का आकार भी छोटा रहा और पैदावार भी कम आ रही है। राऊ के किसान नंदकिशोर चौधरी का कहना है कि जब मौसम में ठंडक चाहिए थी, तब मिली नहीं, अब ठंड का असर है, लेकिन कई किसानों का आलू पक चुका है। सहकारी शीतगृह राऊ के मैनेजर राधेश्याम पाटीदार का मानना है कि पिछले साल जिन किसानों के एक बीघा खेत में 100 कट्टे आलू पैदा होता था, वहां केवल 40 से 70 कट्टे ही निकल रहा है।
इंदौर थोक लहसुन, आलू, प्याज व्यापारी संघ के अध्यक्ष मुरली हरियानी कहते हैं कि मालवा में आलू का उत्पादन गिरने की आशंका है। इससे कई भंडार गृह खाली रहने की आशंका है। काला पीपल (शाजापुर) के किसान घनश्याम पाटीदार बताते हैं कि मौसम के बदलाव के कारण पौधे बीमार हो गए। जिस पौधे में 10 आलू लगा करते थे, उसमें 4-6 आलू ही लग रहे हैं। इंदौर जिले के पिवड़ाय गांव के लखन पटेल बताते हैं कि कई किसानों ने तो जितना बोया, उतना आलू भी नहीं निकल पाया।
एक बीघा पर करीब 10 हजार स्र्पए का नुकसान हो रहा है। पिपल्दा के किशन मंडलोई ने बताया कि हमारे गांव में ऐसे किसान भी हैं जिन्होंने 40 कट्टे आलू बोए और फसल हाथ आई 60 कट्टे। जनकेश्वर सहकारी शीतगृह के मैनेजर महेंद्रसिंह धनावत ने बताया कि कम उत्पादन का असर कोल्ड स्टोरेज पर भी पड़ेगा। पैदावार कम होने से क्षेत्र के स्टोर में इस बार कम आलू आया है। भाव भी पिछले साल के मुकाबले कम मिल रहा है।
सर्वे करवाएंगे
गेहूं की तरह आलू की फसल को भी सर्दी की जरूरत होती है, लेकिन मौसम फसल के अनुकूल नहीं है। इसका उत्पादन पर असर पड़ना स्वाभाविक है। अभी तक हमें तो कहीं से शिकायत नहीं मिली है, लेकिन उप संचालक उद्यानिकी को पत्र भेजकर क्षेत्र का सर्वे करवा लेंगे।
– एसएल नागर, संयुक्त संचालक, उद्यानिकी