तीन तरीकों से बनाएं अपनी शिक्षा व्यवस्था बेहतर – अनुराग बेहर

पहला कदम तो यह कि हमें उस शिक्षा व्यवस्था में सुधार करना होगा और उसे पूरी तरह बदलना होगा, जिससे भविष्य के शिक्षक होकर गुजरते हैं। इसे सामान्य भाषा में बीएड और डीएड व्यवस्था कहा जाता है। शिक्षक बनने के लिए यह जरूरी योग्यता है। कहना न होगा कि शिक्षक बनाने वाली भारत की इस व्यवस्था की हालत खराब है। हमें शिक्षक बनने के इच्छुक युवाओं के लिए दो वर्षीय डिग्री को बदलकर पांच वर्षीय करना चाहिए, जैसा कि दुनिया के अधिकांश देशों में है जहां शिक्षक अच्छी शिक्षा पाते हैं। इसके अलावा हमें प्राइवेट बीएड और डीएड कॉलेजों के लिए बहुत कड़े नियम बनाने होंगे। इनमें से ज्यादातर शिक्षा का बिल्कुल भी भला नहीं कर रहे हैं और अपनी दुकानें चला रहे हैं।

दूसरा, हमें मौजूदा शिक्षकों की योग्यता और प्रभाव बढ़ाने के लिए उन्हें बेहतर सहयोग उपलब्ध कराना होगा। अक्सर प्रतिबद्ध शिक्षक भी पाठ्यक्रम से जूझते नजर आते हैं, क्योंकि उन्होंने बीएड और डीएड के दौरान पूरी तैयारी नहीं की थी।

तीसरा, हमें सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए निवेश करना होगा। सार्वजनिक स्कूलों में बिना अच्छी शिक्षा के दुनिया का कोई लोकतांत्रिक देश तरक्की नहीं कर सकता। यह मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि कई अर्थों में अच्छे समाज और लोकतंत्र की नींव इन्हीं स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था की मजबूती से संभव होती है। तो हमें साथ मिलकर अपने सरकारी स्कूलों की व्यवस्था सुधारने की तरफ ध्यान देना चाहिए। मुझे लगता है कि मजबूत इरादे के साथ कुछ भी असंभव नहीं है। बेहतर शिक्षा से ही बेहतर देश बनता है।

-लेखक अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के सीईओ व अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *