ब्रिटेन। संपत्ित में असमानता का स्तर इस कदर बढ़ गया है कि दुनिया के गरीब लोगों की आधी आबादी के पास जितनी संपत्ित है, उतनी संपत्ित 62 सबसे अमीर लोगों के पास है। यह जानकारी चैरिटी ऑक्सफेम नाम की संस्था ने एक शोध के बाद दी।
स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम से एक दिन पहले ऑक्सफैम ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि असमानता दुनिया भर में तेजी से बढ़ रही है। गौरतलब है कि स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम में दुनिया की 40 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के नेता शामिल होंगे। मंगलवार शाम से शुरू होने वाला यह सम्मेलन 23 जनवरी तक चलेगा।
रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2011 में 388 अमीर लोगों के पास दुनिया के आधे गरीबों की संपत्ित के बराबर का हिस्सा था। ऑक्सफैम ने ‘एन इकोनॉमी फॉर 1 पर्सेंट’ नाम की रिपोर्ट में बताया है कि यह आंकड़ा 388 से सिमट कर वर्ष 2014 में 80 और 2015 में 62 तक पहुंच गया है।
इसमें यह भी कहा गया है कि दुनिया के सबसे अमीर और सबसे गरीब लोगों के बीच संपत्ित का अंतर पिछले 12 महीनों में बहुत बढ़ गया है। ऑक्सफैम जीबी चीफ एक्िजक्यूटिव मार्क गोल्डरिंग ने कहा कि वैश्विक टैक्स हैवन देशों पर कार्रवाई इस बढ़ती वैश्विक असमानता को खत्म करने के लिए जरूरी कदम है।
हमें टैक्स हैवन के दौर को खत्म करना होगा, जिसके चलते धनी लोग और मल्टीनेशनल कंपनियां विदेशों में अपना पैसा जमा करके समाज के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी से बचती हैं।
उन्होंने कहा कि यह अस्वीकार्य है कि दुनिया की आधी गरीब आबादी के पास जितनी दौलत है, वह महज उन चंद वैश्िवक सबसे अमीर लोगों के पास पहुंच जाए, जिन्हें रेल के एक डिब्बे में एक साथ बैठाया जा सकता है।
एक ऐसी दुनिया में जहां हर नौ में से एक व्यक्ित बिस्तर में रात को भूखे सोता है, हम यह स्वीकार नहीं कर सकते हैं कि अमीर लोगों को मुनाफे का बड़ा हिस्सा मिलता रहे।