पर्यावरण बचाने महिलाओं की पहल, छत पर जैविक खेती की तैयारी

संदीप तिवारी, रायपुर(छत्‍तीसगढ़)। परिवार को केमिकलमुुक्त साग-सब्जियां और फल खाने के लिए मिलें, पर्यावरण में सुधार हो, शुद्ध , ताजी, पौष्टिक और मौसमी सब्जियां घर में ही उपलब्ध होने से बीमारियां दूर हों और शुद्ध एवं ताजी हवा मिले। इस मकसद से राज्य की विभिन्न् महिला स्व सहायता समूह की दो लाख से अधिक महिलाओं ने घर की छत पर जैविक खेती करने के लिए बीड़ा उठाया है।

 

इसके लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक, महिलाओं को तकनीकी सपोर्ट और पौधे उपलब्ध करवाएंगे। कृषि एवं सिंचाई के संसदीय सचिव तोखन साहू ने कहा है कि छत पर जैविक खेती के लिए राज्य के कृषि मंत्री से चर्चा कर पॉलिसी बनाने पर विचार करेंगे।
राजधानी में भी हो रही छत में खेती
पद्मश्री फुलबासन यादव मां बम्लेश्वरी जनहितकारी समिति राजनांदगांव एवं महिला स्व सहायता समूह की जिला फेडरेशन के बैनर तले प्रदेश की महिलाओं को जैविक खेती के लिए जागरूक कर रही हैं। इसके लिए वे खुद राजधानी में अपने घर की छत पर जैविक खेती कर रही टी-25 सेक्टर 2 विजय नगर चौक अवंति विहार में रहने वाली पुष्पा साहू से मिलने पहुंचीं। नईदुनिया से बातचीत में फुलबासन ने कहा कि केमिकलयुक्त सब्जियां खाकर घर में महिलाएं, बच्चे और बूढ़े दिनोदिन बीमार हो रहे हैं। इसलिए अब महिलाओं ने ठाना है कि वे जैविक खेती करके ही अपने परिवार को खिलाएंगी।
एक इंच भी न बचे छत में तरह-तरह की खेती
अवंति विहार में घर की छत पर जैविक खेती करने वाली पुष्पा ने बताया कि उनकी छत पर एक इंच भी खाली न रहे, इस मकसद से वे खेती कर रही हैं। मई-जून में करेला, भाटा, मिर्च, रखिया, बरबट्टी, भिंडी, कद्दू, सितम्बर-अक्टूबर से जनवरी तक लाल एवं अन्य पत्तेदार सब्जी, लब-लब, कद्दू, टमाटर भिंडी, रखिया। मार्च के बाद मई से पहले तक तरोइ, लाल एवं अन्य पत्तेदार सब्जी, भाटा मिर्च, धनियां, प्याज आदि। फलों में केला, पपीता, आम, चीकू, अनार, नींबू, संतरा, अमरूद, सीताफल एवं मसाला सब्जियों में लहसुन, प्याज, अदरक, हल्दी, आमी हल्दी आदि उगा सकते हैं।
छत में खेती के नियम
– छत पर गीली मिट्टी बिछाकर खेती नहीं की जा सकती है। पानी के रिसाव से छत खराब हो सकती है।
– सीपेज रोधी केमिकल की कोटिंग के साथ गुणवत्ता वाली पॉलीथिन शीट बिछाकर क्यारी बनाएं।
– कॉलम से कालम को मिलाकर फाल्स छत का निर्माण आरसीसी से करने से क्यारी मजबूत होती है।
ये होंगे फायदे
– 45 फीसदी तक ड्रीप सिंचाई कर पानी बचा सकते हैं।
– ग्लोबल वार्मिंग को रोकने छत में हरियाली फायदेमंद
– जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम को रोकने में सहायक
– शुद्ध और ताजी हवा छत में मिलेगी, शुद्ध पौधे उगा सकेंगे।
इनका कहना है

 

 

महिलाओं की इस मुहिम के लिए हार्टीकल्चर भी मदद करेगा। एक यूनिट है,जो कि जैविक खाद से उत्पन्न् होने वाले बीज का उत्पादन करती है। यह बीज मामूली कीमत में ही उपलब्ध हो जाता है।
– सुनील दुबे, एडिशनल डाइरेक्टर, हार्टीकल्चर
महिलाओंकी जैविक खेती छत पर करने की मुहिम स्वागत योग्य है । कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक महिलाओं के इस मुहिम को पूरा सपोर्ट करेंगे।
– डॉ. केके साहू, जनसंपर्क अधिकारी, कृषि विवि

 

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