केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कादरपुर स्थित सीआरपीएफ केंद्र में नेशनल काॅन्फ्रेंस फॉर वीमेन इन पुलिस कार्यक्रम के समापन पर महिला विशेष थानों के कंसेप्ट पर ही सवालिया निशान लगाए। उन्होंने कहा कि महिला थाने सबसे खराब विचार है, क्योंकि इससे महिलाओं का शोषण और अधिक बढ़ गया है। जब किसी महिला के साथ कोई अन्याय होता है तो क्या वो पहले महिला पुलिस थाना खोजेगी और ये थानें कहां स्थित हैं। किसी को इसकी जानकारी नहीं। राज्य सरकारों को चाहिए कि सामान्य थानों में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाए। जब थानों में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ेगी तो वहां कार्यरत पुरूष कर्मचारियों का व्यवहार भी सुधरेगा और लिंगभेद की स्थिति में भी सुधार होगा। इसके अलावा उन्होंने गुड़गांव पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाये। उन्होंने कहा कि गुड़गांव पुलिस महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को मजाक समझती है। मेनका गांधी ने निजी कंपनी का उदाहरण दिया और कहा कि एक महिला कर्मचारी ने अपने बोस के खिलाफ पुलिस को शिकायत दी तो पुलिस ने उल्टा उसे ही दोषी ठहरा दिया। उनके हस्तक्षेप के बाद महिला के बॉस के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की। इससे पूर्व काॅन्फ्रेंस की अध्यक्ष व दिल्ली की स्पेशल कमिश्नर विमला मेहरा की मांग पर उन्होंने प्रत्येक जिले में कामकाजी महिला हॉस्टल स्थापित करने को स्वीकृति प्रदान की। इसके लिए पहल राज्यों को ही करनी होगी।
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