नौकरी छोड़ गांव की तस्वीर बदलने में जुटा इंजीनियर

जगदलपुर। विकास से कोसों दूर नक्सल प्रभावित दरभा ब्लॉक के ग्राम पंचायत गुमड़पाल की कमान एक ऐसा आदिवासी युवक पंडरू राम संभाल रहा है, जो केरल से बीटेक (मैकेनिकल) की डिग्री लेकर लौटा है। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले पंडरू को शहर की चकाचौंध रास नहीं आई और उन्होंने अपने गांव को विकसित करने का संकल्प लिया। 2010 में चुनाव लड़कर जनपद सदस्य बने और आदिवासियों का पलायन रोकने की दिशा में काफी काम किया। 5 महीने पहले गुमड़पाल के लोगों ने पंडरू को निर्विरोध सरपंच चुना।

वे खाली समय में गांव के बच्चों को अंग्रेजी व गणित पढ़ाते हैं तो निरक्षरों को साक्षर करना भी उनका लक्ष्य है। पंडरू धीरे-धीरे गांव की बुनियादी समस्याओं को खत्म करने में लगे हुए हैं। उनके गांव में पक्की सड़क नहीं है। 10 किमी तक पक्‍की सड़क के निर्माण का प्रस्ताव पंचायत ने पारित किया है।

उनकी कहानी भी कम फिल्मी नहीं है। एक हजार आबादी वाले गुमड़पाल गांव के गरीब माड़िया परिवार में पंडरू ने जन्म लिया। गांव के स्कूलों से आठवीं करने के बाद दरभा में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई की। हायर सेकेंडरी के बाद उसने परिवार की खराब माली हालत देखकर काम करने की सोची। इसी बीच उसका संपर्क किसी एनजीओ से हुआ जिसके माध्यम से वे 2004 में केरल चले गए।

त्रिवेंद्रम में रहकर कुली-मजदूरी की। काम के साथ ही सेंट जेवियर्स कॉलेज से बीटेक की डिग्री हासिल की। कैम्पस इंटरव्यू में एक निजी कंपनी ने उन्हें अच्छी पगार पर नौकरी में रख लिया। पंडरू बताते हैं कि एक साल की नौकरी के दौरान उसे हमेशा अपने गांव और यहां के पिछड़ेपन की याद सताती रही। अंतत: उन्होंने नौकरी छोड़ दी और वापस गांव पहुंच गए।

 

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