बकायदा इस ईमानदार किसान ने नईदुनिया को यह सबकुछ लिखित में दिया। यह मामला जिला मुख्यालय से 48 किमी दूर ग्राम भगवानपुरा का है। ग्राम के उन्नात कृषक महेश गुर्जर ने मिर्च फसल के सर्वे में धांधली का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि पिपलई खुर्द स्थित 1.38 एकड़ खेत में जुवार लगाई थी। इससे लगभग 10 क्विंटल जुवार का उत्पादन हुआ। अब खेत में चने लगे हैं।
मुआवजा सूची में नाम देख हुए हैरान
कृषक ने बताया कि कुछ अन्य किसानों ने उनका नाम मिर्च फसल बर्बादी की मुआवजा सूची में होने की जानकारी दी। उन्हें विश्वास नहीं हुआ। वे स्वयं सहकारी समिति पर चस्पा सूची देखने पहुंचे तो हैरान रह गए। उनके नाम से 10 हजार 800 रुपए मुआवजा स्वीकृत होने का उल्लेख था, जबकि उन्होंने मिर्च फसल लगाई ही नहीं।
गौरतलब है कि इस विकासखंड में 12 हजार 100 किसानों को 14 करोड़ 50 लाख 41 हजार 78 रुपए का मुआवजा स्वीकृत हुआ है। किसानों ने गत 28 दिसंबर को तहसील मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन के दौरान पटवारियों पर घर बैठे सर्वे करने का आरोप लगाया था।
श्री गुर्जर ने कहा कि जिन किसानों की वास्तव में मिर्च फसल खराब हुई है उनको मुआवजा नहीं मिला है। प्रशासन को पात्र हकदारों को मुआवजा देना चाहिए। उधर गांव के ही देवराम ने बताया कि उन्होंने लगभग ढाई एकड़ भूमि पर मिर्च लगाई। फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई।
इसी प्रकार श्याम छोगालाल ने बताया कि 7 एकड़ भूमि पर लगी मिर्च फसल खराब हो गई, परंतु मुआवजा सूची में नाम नहीं है। ऐसे कई किसान मुआवजे से वंचित रह गए। भारतीय किसान संघ के पूर्व तहसील अध्यक्ष जगदीश कुशवाह ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बावजूद पटवारियों ने कागजों पर सर्वे रिपोर्ट तैयार कर ली।
* नईदुनिया का आलेख पढ़ा। समाज में भ्रष्टाचार व कालाबाजारी को हटाने के लिए हर व्यक्ति की भूमिका अहम है। वह इस अभियान से प्रभावित है। वह चाहता है कि पात्र किसान को उसके हक का मुआवजा मिले। उसने लालच किए बिना मुआवजा ठुकरा दिया।
महेश गुर्जर, कृषक, भगवानपुरा
* मुआवजे को लेकर ऐहतियात के साथ प्रकरण बनाए गए हैं। यदि कहीं कोई त्रुटि मिलती है या शिकायत मिलती है तो संबंधित पटवारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
प्रतापसिंह अगास्या, तहसीलदार, भीकनगांव