राजनांदगांव। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जचकी वार्ड में महिलाओं को कड़ाके की ठंड में भी बेड नसीब नहीं हो रहा। पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के चलते एक ही बेड पर दो-दो प्रसूताओं को सुला दिया गया है। इतना ही नहीं कई महिलाओं को तो जमीन पर ही लिटा दिया गया है।
जिलेभर से पहुंच रही प्रसुताओं की संख्या व वार्ड में बिस्तरों की कमी को देखने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन इसे लेकर कोई व्यवस्था नहीं कर रहा है। ऐसे में किसी किसी दिन प्रसव के लिए पहुंचने वाली महिलाओं को पूरे दिन वार्ड के जमीन पर ही ठंड के बीच दिन व रात काटना पड़ रहा है। लेकिन अस्पताल में सुरक्षित प्रसव के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने वाले प्रशासन के पास यहां पहुंचने वाली महिलाओं के लिए कोई भी उचित व्यवस्था नहीं है।
केवल दो कमरों का ही सहारा
प्रसव के बाद महिलाओं को दाखिल करने के लिए अस्पताल परिसर में केवल दो छोटे वार्डों की व्यवस्था है, जहां कुल मिलकार 35 बिस्तर लगाए गए हैं। जिनमें आपरेशन व सामान्य ढंग से प्रसव वाली महिलाओं को एक साथ रखा जाता है। ऐसे में कभी कभी प्रसव के लिए पहुंचने वाली महिलाओं की संख्या में इजाफा हो जाने से उनके परिजनों को बिस्तर की उपलब्धता नहीं होने की बात कहकर अपनी व्यवस्था कर लेने की बात कही जा रही है। ऐसी स्थिति में मरीज व उनके परिजन जमीन पर ही बिछौना लगाकर अपना समय काट रहे हैं।
दूरदराज से पहुंचे है मरीज
जिला अस्पताल में बेहतर व सुरक्षित प्रसव की आस लिए जिलेभर के दूर दराज क्षेत्र से रोजाना 12 से 15 मरीज सामान्य तौर पर दाखिल हो रहे हैं। कभी-कभी इस संख्या में दोगुना इजाफा भी हो जाता है। इसके अलावा इमरजेंसी मेें पहुंचने वाली महिलाओं की संख्या भी रोजाना अस्पताल में बनी रहती है। इन सब के बाद भी ठंडे के मौसम में इन महिलाओं को सुरक्षित ढंग से वार्डों में जगह देने कोई पहल नहीं हो पा रही है। हाल यह है कि यहां पहुंचने वाली महिलाओं को प्रसूती के पहले या बाद में बगैर बिस्तर ठंड से जूझना पड़ रहा है।
संक्रमण का खतरा दोगुना
इधर एक ही वार्ड में ठसाठस भरी प्रसुती महिलाओं की वजह से संक्रमण का खतरा भी लगातार बना रहता है। जिन महिलाओं को बिस्तर नसीब हो रहा है। वे भी अन्य के संपर्क में रह रही है। ऐसे में पूरे वार्ड में संक्रमण की स्थिति लगातार बनी रहती है। प्रसव जैसे संवेदनशील प्रक्रिया के बाद प्रसुतियों को सुरक्षित व व्यवस्थित ढंग से रखा जाना है,लेकिन अस्पताल परिसर में ही इन महिलाओं के लिए खतरा बना हुआ है।
वर्सन-
प्रसुतियों की संख्या के मुताबिक वार्ड में पर्याप्त व्यवस्था है। कभी संख्या बढ़ती है, तो इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था भी की जाती है। पेरशानी जैसी कोई बात नहीं है।
डॉ. प्रदीप बेक, अधीक्षक, एमसीएच