दिल्ली की सड़कों पर सन्नाटा पसरा है। ऑड-ईवेन योजना का असर शहर की सड़कों पर साफ दिख रहा है। कारों की संख्या बेहद कम दिखी लेकिन इस योजना का वैसा असर प्रदूषण के आंकड़ों पर नहीं दिख रहा। शहर के विभिन्न स्थानों पर शनिवार को हवा में प्रदूषण की मात्रा सामान्य से ढाई गुना तक अधिक पायी गयी। खासकर सीमावर्ती इलाकों में प्रदूषण में ज्यादा कमी नहीं दिख रही। सूबे की सरकार ने अब प्रदूषण का ठीकरा एनसीआर के शहरों के सिर फोड़ा है। उसका कहना है कि वह पड़ोसी सरकारों से इस बारे में बात करेगी। सरकार ने यह भी दावा किया है कि यदि सीमावर्ती इलाकों को छोड़ दें तो शहर के भीतरी इलाकों में पिछले वर्षों की तुलना में प्रदूषण में कमी आई है।
दिल्ली सरकार ने शनिवार को दावा किया कि पहली जनवरी को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की मोबाइल यूनिट द्वारा शहर के विभिन्न 24 स्थानों पर दर्ज किये आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्षों के मुकाबले में प्रदूषण के आंकड़ों में कमी पाई गई।
नयी दिल्ली में शनिवार को ऑड-ईवन स्कीम के चलते मेट्रो में सफर करने पहुंची डीसीडब्ल्यू की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल। -प्रेट्र
सरकारी आंकड़ों के अनुसार पहली जनवरी को 24 स्थानों पर जांच के दौरान पीएम 2़5 की मात्रा 150 से कम पाई गई। जबकि पिछले साल इसी दिन यह आंकड़ा 250 था। ज्ञातव्य है कि प्रदूषण के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार समझे जाने वाले इस धूलकण की सामान्य मात्रा 60 यूजी/एम3 है। सरकारी आंकड़े आठ विधानसभा क्षेत्रों से ही जुटाए गए जबकि शुक्रवार को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार राजधानी के विभिन्न इलाकों में शाम पांच बजे के बाद पीएम 2़5 और पीएम10 की मात्रा में भारी वृद्धि दर्ज की गई। शनिवार को भी प्रदूषण का आंकड़ा जारी करने वाले केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सफर आदि के आंकड़ों से साफ पता चला कि शाम तक शहर में प्रदूषण सामान्य से ढाई गुना तक अधिक दर्ज किया गया। इस बीच दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने कहा है कि राजधानी में प्रदूषण की वजह धूल है न कि कारें। गुप्ता ने कहा कि आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली में गाड़ियों की वजह से महज 10 फीसदी प्रदूषण होता है। इस 10 फीसदी में भी आधा प्रदूषण ट्रकों के कारण होता है। सड़क किनारे की धूल और निर्माण कार्यों की धूल के कारण 40 फीसदी प्रदूषण होता है। उन्होंने कहा कि असल में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने भ्रष्टाचार की ओर से लोगों का ध्यान हटाने के लिए ऑड-ईवेन योजना शुरू की है।
सिसोदिया साइकिल से पहुंचे सचिवालय
नयी दिल्ली: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ऑड इवन फार्मूले के दूसरे दिन साइकिल से आज सचिवालय पहुंचे। श्री सिसोदिया के पास ऑड नंबर की कार है इसलिए वह साइकिल से सचिवालय पहुंचे। दिल्ली में प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए सरकार की ओर से चलाये जा रहे ऑड इवन फार्मूले के तहत कल पहले दिन पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा मोटरसाइकिल से सचिवालय पहुंचे थे। यह अभियान दिल्ली में 15 जनवरी तक प्रायोगिक तौर पर लागू रहेगा।
सहयोग के लिए लोग आरहे हैं आगे
नयी दिल्ली: परिवहन मंत्री गोपाल राय ने राजधानी में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लागू सम-विषम योजना के दूसरे दिन को भी सफल बताते हुए कहा कि लोगों ने प्रदूषण को कम करने के प्रयास में योगदान के लिए काफी उत्सुकता नजर आ रही है। बस द्वारा योजना का जायजा लेने के लिए आज श्री राय ने दिल्ली सचिवालय से इन्द्रप्रस्थ ,निजामुद्दीन, सराय काले खां, आश्रम , नेहरू प्लेस ,इंडिया गेट और बाद में आकर इसे दिल्ली सचिवालय पर खत्म किया। उन्होंने कहा कि योजना का दूसरे दिन भी लोगों का समर्थन मिला। हालांकि शनिवार होने की वजह से राजधानी स्थित केन्द्र सरकार और दिल्ली सरकार तथा सार्वजनिक उपकरणों के कार्यालय में अवकाश रहता है। जिससे आम दिनों की तुलना में यातायात काफी कम रहता है। सोमवार को योजना की सही परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है । श्री राय ने कहा ‘मात्र केवल नियमों से सब कुछ नहीं बदला जा सकता , सोच बदलने की जरूरत है।
24 नमूनों की रिपोर्ट उत्साहजनक
नयी दिल्ली: दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने एक जनवरी को 24 स्थानों से वायु प्रदूषण को मापने के लिए जो नमूने उठाये थे। उनमें पीएम 2.5 और पीएम 10 श्रेणियों में उत्साहवर्धक नतीजे सामने आये हैं। सचल वाहनों ने आठ विधानसभा क्षेत्रों -मालवीय नगर , नयी दिल्ली, कस्तूरबा नगर, सीमा पुरी, रोहताश नगर, पटपड़गंज ,कोंडली और ग्रेटर कैलाश से 24 स्थानों से हवा के नमूने एकित्रत किये थे। इन स्थानों पर पीएम 2.5 का स्तर 121 से 226 के बीच रहा। अधिकतर स्थानों पर यह 150 से कम था। पिछले साल यह एक जनवरी को राजधानी भर में करीब 250 था । पीएम 10 का स्तर इन स्थानों पर 149 से 503 के बीच रहा । अधिकतर जगहों पर 300 से कम था, जो पिछले साल के तुलना में बहुत कम था । गत वर्ष यह 400-500 के बीच रहा था । सरकार का कहना है कि राजधानी के भीतर वायु प्रदूषण में कमी देखी गयी है।