झारखंड- राज्य में जल्दी मछली पालन को कृषि का दर्जा

रांची : मुख्य सचिव राजीब गौबा ने कहा कि राज्य के कृषि योग्य भूमि के 30 प्रतिशत भू-भाग के लिए सिंचाई क्षमता उपलब्ध है, लेकिन मात्र 12 प्रतिशत भूमि में ही इसका उपयोग हो रहा है. सृजित सिंचाई क्षमता का शत-प्रतिशत उपयोग किया जाना चाहिए. बैठक में मछली पालन को कृषि का दरजा देने पर सहमति बनी. राज्य के सभी बड़े जलाशयों में केज कल्चर तकनीक से मछली पालन करने का निर्णय हुआ.

मुख्य सचिव मंगलवार को प्रोजेक्ट भवन में कृषि व संबद्ध विभागों की समीक्षा कर रहे थे. उन्होंने कहा कि राज्य में कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिये सुनिश्चित सिंचाई क्षमता उपलब्ध करने की जरूरत है. पुराने जमींदारी तालाबों, बड़े बांधों तथा पुराने जलाशयों की क्षमता में विस्तार समयबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए.

बैठक में योजना व वित्त विभाग के प्रधान सचिव अमित खरे, ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव एनएन सिन्हा, जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव सुखदेव सिंह, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ जॉर्ज जॉन भी मौजूद थे. चार जनवरी को फिर बैठक की जायेगी.

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