न स्टाफ, न मशीनें, कैसे मिले इलाज

पटना : राजधानी के बेहतर सरकारी अस्पतालों में मशहूर गार्डिनर अस्पताल में इन दिनों स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हो गयी हैं. यह स्थिति तब है, जब इसे सरकार ने नेशनल क्वालिटी और स्टैंडर्स अभियान के तहत चुना है.

लेकिन, यहां इलाज कराने के लिए मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है या फिर आधे-अधूरे इलाज से ही काम चलाना पड़ता है.
दवा, डॉक्टर और आधुनिक मशीनों की कमी के चलते मरीजों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. इसके अलावा यहां टीवी में होनेवाली टीसी, डीसी, थाइराइड और शुगर में होने वाली एसपीवनसी जांच बंद है. अस्पताल अधिकारियों का कहना है कि तकनीशियन नहीं होने की वजह से यह जांच नहीं हो पा रही है.

आठ दिनों के बाद जानकारी

पूरे भारत में फैलेरिया दिवस मनाया गया. गार्डिनर अस्पताल में भी फैलेरिया के मरीजों को फ्री में दवा दी गयी. 20 दिसंबर तक यह दिवस मनाया गया. लेकिन, यहां का फैलेरिया विभाग जर्जर हो चुका है. लेबोरेटरी नहीं होने के चलते ब्लड सैंपल महेंद्र घाट स्थित एक लेबोरेटरी में भेजा जाता है. वहां से आने-जाने में एक सप्ताह का समय लग जाता है. ऐसे में मरीजों काे आठ दिनों के बाद पता चलता है कि उन्हें फैलेरिया की बीमारी है.

मरीज अधिक और बेड कम

अस्पताल में करीब डॉक्टरों व नर्स को मिला कर 25 लोगों की टीम है. यहां पर शहर के अलावा पटना सिटी, सचिवालय, फुलवारी शरीफ आदि आसपास के गांव के लोगों का अाना-जाना होता है. लेकिन यहां मरीजों की तुलना में बेड काफी कम हैं.

यहां महज 10 बेड हैं. मेन शहर में अस्पताल होने के चलते यहां पर मरीजों की संख्या अधिक होती है. ऐसे में भरती होनेवाले मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. यही नहीं, यहां की अल्ट्रासाउंड मशीनें जर्जर हो चुकी हैं. उनमें से भी समय-समय पर कई मशीनें खराब रहती हैं और मरीजों को बाहर जाकर जांच करानी पड़ती है.

जांच में परेशानी

मशीनों और टेक्निशियन की कमी के चलते जांचमें परेशानी होती है. बहुत जल्द सिस्टम दुरुस्त किया जायेगा. मरीजों की सुविधाओं को देखते हुए रविवार को फैलरिया से जुड़े मरीजों को फ्री में दवा दी गयी.
डाॅ मनोज कुमार, इंचार्ज, गार्डिनर अस्पताल

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