‘नईदुनिया’ को मिली जानकारी के मुताबिक प्रति परिवार 50 हजार रुपए के पैकेज पर सरकार को सालाना 363 रुपए के हिसाब से प्रीमियम देना होगा। इसके चलते सरकार को 120 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार उठाना पड़ेगा। यही वजह है कि इलाज का पैकेज रेट 50 हजार नहीं हो पा रहा है। इस पर स्वास्थ्य, वित्त विभागों के बीच मंथन जारी है। क्योंकि यह सरकार के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल था।
जनगणना के मुताबिक प्रदेश में 56 लाख परिवार हैं, जबकि अब तक 41 लाख परिवार के ही स्मार्ट कार्ड बन सके हैं। इसी साल चले अभियान के तहत 10 लाख फॉर्म कलेक्टर्स के माध्यम से बांटे गए थे। करीब 5-6 लाख कार्ड बन सकेंगे। नए स्मार्ट कार्ड बनने की प्रक्रिया इसलिए रुकी हुई है कि अब तक 30 से 50 हजार पैकेज रेट का निर्धारण नहीं हो पाया है। जनवरी-फरवरी तक इस पर निर्णय हो सकता है, और फिर कार्ड बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। वर्तमान में 772 बीमारियों को कार्ड के तहत कवर किया जाता है।
कम हुए एमएसबीवाई कार्डधारी
वर्तमान में आरएसबीवाई कार्डधारियों की संख्या 34 लाख 68 हजार 364 है, जबकि एमएसबीवाई कार्डधारियों की संख्या का 7 लाख 27 हजार 145 पर है। जबकि पूर्व में एसएमबीवाई कार्डधारियों की संख्या अधिक थी। सूत्रों के मुताबिक पहले एमएसबीवाई कार्ड में भी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार जुड़ गए थे।
1.50 लाख तक का इलाज कवर
अगर स्मार्ट कार्ड से इलाज का पैकेज रेट 50 हजार होता है तो प्रीमियम की राशि बढ़कर 700-800 रुपए के बीच पहुंच जाएगी। तब 1.50 लाख रुपए तक के इलाज के खर्च को इसमें कवर किया जाएगा। फिलहाल 30 हजार से अधिक के इलाज का प्रावधान मुख्यमंत्री संजीवनी कोष से है।
अभी चर्चा जारी है
स्मार्ट कार्ड से इलाज का सालाना पैकेज रेट 50 हजार करने को लेकर अभी जो भी इश्यू आ रहे हैं, सब पर चर्चा जारी है।
– आर. प्रसन्ना, सीईओ, आरएसबीवाई एवं संचालक स्वास्थ्य सेवाएं